नई दिल्ली। आमतौर पर आपने ट्रैफिक लाइट में लाल, पीला और हरा रंग ही देखा होगा लेकिन क्या आपको पता है कि इन लाइट्स के अलावा ट्रैफिक लाइट्स में नीली बत्ती का भी उपयोग किया जाता है। जी हां, जापान में पीली या यलो लाइट्स के बदले नीली लाइट का प्रयोग किया जाता है। यहां बता दें कि जापान में नीली बत्ती को 'एओ' कहा जाता है और इसका प्रयोग वहां काफी समय से किया जा रहा है। ऐसा कहा जाता है कि जापान में बहुत पहले सिर्फ सफेद, काला, नीला और लाल हरा रंग ही हुआ करता था ऐसे में इस कलर का इस्तेमाल वहां लोग चलने के लिए करते हैं।
भाषा की गड़बड़ी
आपको बता दें कि जापान में नीले और हरे दोनों ही रंगों के लिए एओ का ही उपयोग किया जाता था लेकिन कुछ सालों बाद हरे रंग के लिए नया शब्द ‘मिडोरी’ विकसित किया गया। दोनों रंगों के लिए अलग-अलग नाम होने के बावजूद आज भी जापान में हरे रंग की चीजों के लिए ‘एओ’ शब्द का ही प्रयोग होता है, जबकि दिखने में ये चीजें ‘मिडोरी’ यानी कि हरी होती हैं। तो कहना गलत नहीं होगा कि जापान में ट्रैफिक लाइट के रंग कहीं न कहीं इन्हीं नीले और हरे के भाषाई मिश्रण का ही नतीजा है।
वियना कन्वेन्शन ऑन रोड साइन एंड सिग्नल
बता दें कि जापान में ट्रैफिक लाइट्स का प्रयोग साल 1930 में शुरू हुआ और उस समय गो यानी कि जाने के लिए हरी लाइट का ही उपयोग किया जाता था लेकिन आधिकारिक दस्तावेज या लिखित रूप में ट्रैफिक लाइट के हरे रंग को ‘मिडोरी’ न लिखकर ‘एओ’ लिखा गया, जिसका अर्थ होता है नीला। शायद यही वजह थी कि जापान ने वर्ष 1968 में वियना कन्वेन्शन ऑन रोड साइन एंड सिग्नल की संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए थे, जबकि भारत सहित लगभग 69 देश इस संधि पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। यहां गौर करने वाली बात है कि वियना अंतरराष्ट्रीय संधि का उद्देश्य ट्रैफिक सिग्नल को मानकीकृत करना है।
सरकार ने लिया बड़ा फैसला
यहां यह जानना जरूरी है कि जापान सरकार ने साल 1973 में कहा कि वह अपने दस्तावेजों में कोई बदलाव नहीं करेगी हां वह ट्रैफिक लाइट्स के रंगों में बदलाव करेगी और इसीलिए सरकार ने हरे रंग का ही नीला शेड (ब्लुइश ग्रीन) ट्रैफिक लाइट में प्रयोग करने का फैसला लिया। यानी कानूनी रूप से जापान में भी ‘गो’ के लिए ग्रीन लाइट ही है, लेकिन दिखने में यह नीली है। इसके अलावा आपको बता दें कि भारत की ही तरह जापान में भी ड्राईविंग लाइसेंस के लिए विजन टेस्ट देना पड़ता है, जिसके लिए उन्हें लाल, पीले और नीले रंग में फर्क पहचानना पड़ता है।