हर बच्चा कोई न कोई खासियत जरुर होती है। जरूरत अगर होती है उसके भीतर जज्बा भरने की उसे प्रेरित करने की। कैंसर से जूझ रहे 15 वर्षीय विनय राणा को मुंबई में इलाज कर रहे डॉक्टर ने शतरंज प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। हौसला अफजाई की और विनय ने दुनिया फतह कर ली। उसने रूस में कैंसर पीड़ित बच्चों के लिए आयोजित अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में शतरंज व शूटिंग में स्वर्ण पदक जीत लिया। यह प्रतियोगिता 1 से 6 जून तक आयोजित की गई थी।
राजौंद के किसान विजय राणा का बेटा विनय भी आम बच्चों में से एक है। वह बास्केट बाल खेलता था। वजह यह थी उसकी मां ऊषा रानी भी बॉस्केटबाल की राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी रह चुकी थी। दो वर्ष पहले खेलने के दौरान एक दिन विनय मैदान में गिर गया। उसके पैर में चोट लग गई। जब चोट ठीक नहीं हुई तो उसे पीजीआई चंडीगढ़ अस्पताल ले जाया गया। वहां डॉक्टर ने बताया कि विनय के घुटने में कैंसर है। उन्होंने मुंबई में इलाज कराने की सलाह दी तो विनय को मुंबई के टाटा अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां डॉ. अमिता भाटिया और डॉ. रईस उसका इलाज करने लगे। डॉ. अमिता ने विनय से पूछा कि उसे किस खेल में रुचि है।
विनय ने बताया शतरंज और शूटिंग में डॉ. अमिता ने उसे रूस में हो रहे कैंसर पीड़ित किशोरों की खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया। विनय के पिता साथ वह उसे लेकर खुद रूस गई और प्रतियोगिता में भाग दिलाया। विनय ने 15वर्ष आयु वर्ग में हिस्सा लिया और शतरंज के मोहरों के साथ ही शूटिंग में स्वर्ण पदक हासिल किया। इस प्रतियोगिता में 20 देशों के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया।
मुफ्त प्रैक्टिस का ऑफर
प्रतियोगिता से लौटने के बाद टाटा अस्पताल में विनय का ऑपरेशन कर घुटने का कुछ हिस्सा बदला दिया गया। फिलहाल वह स्वस्थ है। कैथल शूटिंग रेंज की इंचार्ज और महिला थाना प्रभारी निर्मला भी विनय की उपलब्धि से प्रभावित हुई और उन्होंने कहा कि अगर वह चाहे तो उसे पुलिस लाइंस स्थित शूटिंग रेंज में मुफ्त ट्र्रेंनिग देने के लिए हम तैयार हैं।
भाई के साथ खेलता था शतरंज
विनय ने बताया कि वह अपने बड़े भाई के साथ अक्सर शतरंज खेला करता था उन्होंने ही उसे शतरंज खेलना सिखाया है। फौजी ने सिखाया निशाना साधना विनय ने बताया कि विनय के पास एक एयरगन थी, जिससे निशाना लगाता था। उसकी लगन देख गांव के रिटायर्ड फौजी हरिपाल सिंह ने उसे निशाना साधना सिखाया।