Friday, April 19, 2024

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हैंगिंग ट्रेन जो 82 हजार लोगों को हर रोज पहुंचाती है उनकी मंजिलों तक

अंग्वाल न्यूज डेस्क
हैंगिंग ट्रेन जो 82 हजार लोगों को हर रोज पहुंचाती है उनकी मंजिलों तक

आपने भारत में पर्यटक स्थलों पर रोपवे या टाॅय ट्रेन से सफर तो जरूर किया होगा। इसमें सफर करने का रोमांच एक अलग तरह का ही होता है। आज हम आपको एक ऐसे सफर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में सुनकर शायद आपको हैरानी होगी। आइए आज हम आपको हैंगिग ट्रेन के सफर पर ले चलते हैं। यह ट्रेन हर रोज इसी तरह से हजारों यात्रियों को अपनी मंजिल तक पहुंचाती है। 

तकनीक का बेजोड़ नमूना

दरअसल यहां बात हो रही है जर्मनी की हैंगिग ट्रेन की। आपको बता दें कि इस ट्रेनों के इतिहास में यह ट्रेन विज्ञान और तकनीक का सबसे बेहतरीन नमूना है। आपको बता दें कि जर्मनी की गिनती यूरोपीय महाद्वीप के विकसित राष्ट्रों में होती है। यह अपने उत्कृष्ट तकनीक के लिए दुनिया भर में मशहूर है। यहां चलने वाली ‘हैंगिंग ट्रेन’ इसकी एक मिसाल है। यह रेल सेवा काफी पुरानी है, इसकी शुरुआत 1901 में हुई थी।

कम पड़ती जगह के कारण से हुआ विकास


यहां यह जानना जरूरी है कि आखिर इस रेल सेवा की शुरुआत कैसे हुई। गौरतलब है कि 19वीं शताब्दी में जर्मनी के वुप्पर्टल शहर में औद्योगिक विकास काफी तेजी से हुआ। यहां सड़कें सामान ढ़ोने और पैदल चलने वाले लोगों के लिए थीं। पहाड़ी इलाका होने की वजह से जमीन पर चलने वाली ट्रामें या अंडरग्राउंड रेल चलाना मुश्किल था। ऐसी हालत में वहां के इंजीनियरों ने हैंगिंग ट्रेन चलाने का फैसला लिया। ऐसा माना जाता है कि यह दुनिया की सबसे पुरानी और इकलौती हैंगिंग ट्रेन है। 

हजारों लोगों का रोजाना सफर 

आपको बता दें कि जर्मनी के वुप्पर्टल इलाके में चलाई जाने वाली हैंगिंग ट्रेन काफी लोकप्रिय है। यह ट्रेन बिजली से चलती है और लगभग 40 फीट की ऊंचाई का सफर करते हुए 13.3 किमी की दूरी तय करती है। यह ट्रेन हर रोज लगभग करीब 82,000 यात्रियों को अपने रोमांचक सफर के जरिए उनकी मंजिल तक पहुंचाती है। हवा में लटककर चलने वाली यह ट्रेन अपने चलने के 100 सालों के इतिहास में अभी तक एक बार दुर्घटना की शिकार भी हो चुकी है। यह दुर्घटना 1999 में तब हुई जब ट्रेन वुप्पर नदी में गिर गई थी, जिसमें 5 लोग मारे गए थे और करीब 50 घायल हो गए थे। 

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