लंदन। वैज्ञानिकों ने गोल्डफिश को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, अधिक सर्दी में जब जलाशय जम जाते हैं, तो उनमें रहने वाली मछलियां शराब के जरिए ऑक्सीजन की कमी को पूरा करके खुद को जिंदा रखती है। दरअसल, ओस्लो विश्वविद्यालय और लिवरपूल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है कि जमा देने वाली कड़ाके की सर्दी में जब तालाबों की ऊपरी सतह बर्फ बन जाती है। तो उसके नीचे पानी में ऑक्सीजन में कमी होने लगती है। ऐसे में गोल्डफिश खुद को जिंदा रखने के लिए अपने शरीर में बनने वाले लैक्टिक एसिड को इथेनॉल में बदलना शुरू कर देती हैं। यह इथेनॉल उनके गिल्स के आसपास फैल जाता है और उनके शरीर में घातक लैक्टिक एसिड को बनने से भी रोकता है। इस तरह गोल्डफिश और इसी नस्ल की अन्य मछिलयां कई महीनों तक सर्दियों के दौरान खुद को जीवित रखती हैं।
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अध्ययन के अनुसार, उत्तरी यूरोप में भीषण सर्दियों में जब महीनों तक जलाशय की ऊपरी सतह पूरी तरह बर्फ जमी रहती है और जल में ऑक्सीजन लगभग खत्म हो चुकी होती है। तो इन मछिलयों के रक्त में प्रति 100 मिलीमीटर में शराब की मात्रा 50 मिलीग्राम तक पहुंच जाती है।
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