नई दिल्ली। देश में नए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने और बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से नई पहल की गई है। केंद्र सरकार ने तकनीकी शिक्षा के छात्रों को रोजगार से जोड़ने के मकसद से पहले इंटर्नशिप व कैंपस प्लेसमेंट नीति को मंजूरी दे दी है। सत्र 2019 से तकनीकी कॉलेज, इंडस्ट्री व अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) मिलकर रोजगार तैयार करेंगे। इसके बाद इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, फार्मेसी एवं आर्किटेक्चर की डिग्री हासिल करने के बाद छात्रों को रोजगार की तलाश में भटकना नहीं पड़ेगा।
गौरतलब कि पहले इंटर्नशिप व कैंपस प्लेसमेंट नीति छात्रों के लिए रोजगार उपलब्ध कराने में उद्योगों की भी जिम्मेदारी तय की गई है। इसके तहत गांव, छोटे शहर, महानगर, इंडस्ट्री व कंपनियों में नौकरियों की संभावनाओं पर काम करना होगा। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष अनिल सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि पहली बार तकनीकी शिक्षा को रोजगार से जोड़ने की नीति बनाई गई है। तकनीकी शिक्षा हासिल करने वाले छात्रों को दूसरे सेमेस्टर से गर्मियों की छुट्टियों में 4 से 6 हफ्तों में अनिवार्य इंटर्नशिप होगी।
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यहां बता दें कि इंटर्नशिप की नई नीति में पहली बार कॉलेज व विश्वविद्यालय, इंडस्ट्री, छात्र और एआईसीटीई के लिए दिशानिर्देश तय किए गए हैं। इंटर्नशिप की निगरानी के साथ हर साल छात्रों की रिपोर्ट तैयार की जाएगी। नई नीति के तहत विश्वविद्यालय या कॉलेज के कुल बजट का 1 फीसदी ट्रेनिंग व प्लेसमेंट सेल और विभिन्न गतिविधियों पर खर्च होगा।
डिग्री प्रोग्राम के छात्रों को 300 से 400 घंटे एक्टिविटी प्रोग्राम के तहत सामुदायिक सेवा करनी पड़ेगी। एनसीसी, एनएसएस, खेलकूद में भाग लेने वाले छात्रों को क्रेडिट मिलेंगे। छात्रों को तकनीकी शिक्षा की पढ़ाई के साथ-साथ मानवीय मूल्य, भारतीय संस्कृति व संस्कार में भी कुशल बनाया जाएगा ताकि वे विदेशी उद्योग की मांग के आधार पर तैयार हो सकें।