देहरादून। जहां एक तरफ प्रदेश सरकार पहाड़ों से हो रहा पलायन रोकने को लेकर चिंता जाहिर कर रही है, वहीं दूसरी ओर बच्चों की परविश और अच्छी शिक्षा के चलते गांव खाली हो रहे हैं। गांव में बच्चों की मस्ती ओर शोर-शराबा के बजाय अब सनाटा सुनने को मिलता है। कई गांवों में अब न तो कोई बच्चा है और ना ही कोई जवान। रिपोर्ट के मुताबिक, अबतक चमोली जिले के 12 सरकारी स्कूल पर ताले लग गए है। गांव के बच्चे नजदीकी शहरों में इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ने जा रहे हैं। स्कूल में बच्चें न होने का कारण प्राथमिक और जूनियर स्कूल बंद होने की कगार पर हैं। रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में चमोली के 9 विकासखंडों में कुल 972 प्राथमिक और 207 जूनियर स्कूल ही चल रहे हैं।
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इतना ही नहीं कई स्कूल ऐसे भी है जहां केवल 2-3 छात्र पढ़ने आते हैं। हर साल लगातार प्राथमिक स्कूलों में छात्रों की कम होती संख्या के कारण सरकारी स्कूलों की पढ़ाई पर भी सवाल उठ रहा हैं। लोगों का कहना है कि गांव के स्कूलों में नियुक्त टीचर भी गांव में नही रहना चाहते हैं। वह शहरों में कमरे लेकर रह रहे हैं, जिसके कारण वह स्कूल देर से पहुंचते हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई काफी प्रभावित होती है। कुछ लोगों का तो कहना है कि सरकार को सरकारी स्कूलों का निजीकरण कर देना चाहिए।
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