Friday, April 19, 2024

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अब सहायक प्रोफेसर बनना नहीं रहा आसान, एमसीआई ने नियम किए सख्त

अंग्वाल न्यूज डेस्क
अब सहायक प्रोफेसर बनना नहीं रहा आसान, एमसीआई ने नियम किए सख्त

नई दिल्ली। अब सरकारी या निजी मेडिकल काॅलेजों में सहायक प्रोफेसर बनना आसान नहीं होगा। इनके नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है। दरअसल, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने देश के सभी सरकारी और गैर सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए योग्यता निर्धारित कर दी है। इसके तहत अब एमडी और एमएस करने वाले डॉक्टरों को मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेज में एक साल की सीनियर रेजिडेंट की नौकरी करना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके बाद ही वे सहायक प्रोफेसर के लिए आवेदन कर पाएंगे।

हजारों डाॅक्टर होंगे प्रभावित

एमसीआई के इस फैसले का असर देश के तकरीबन 15000 एमडी और एमएस डॉक्टरों पर पडे़गा। आपको गता दें कि स्वास्थ्य विभाग के सामने इस बात की चुनौती है कि देश में विशेषज्ञों की संख्या को जल्द से जल्द बढ़ाया जाए लेकिन डॉक्टरों की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए एमसीआई ने सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए सीनियर रेजिडेंट का अनुभव होना अनिवार्य कर दिया है।

सीनियर रेजिडेंट की भरमार 

आपको बता दें कि एम्स दिल्ली, पीजीआईएमएस चंडीगढ़ और दक्षिण में वैलोर मेडिकल कॉलेज में सहायक प्रोफेसर बनने के लिए पहले से ही तीन साल का सीनियर रेजिडेंट का अनुभव अनिवार्य है। ऐसा इसलिए किया गया है कि क्योंकि यहां नौकरी करने वालों में बड़ी संख्या सीनियर रेजिडेंट डाॅक्टरों की है। अब ऐसे डाॅक्टरों की छंटनी करने के लिए सख्त नियम बनाए गए हैं। बता दें कि पीजीआईएमएस रोहतक में भी यह एक साल का अनुभव अनिवार्य है।

नियम किए गए सख्त

नए नियमानुसार यदि डॉक्टर अपनी एमडी और एमएस की डिग्री कर चुका है और उसकी आयु 40 वर्ष से अधिक हो गई है तो वह सीनियर रेजिडेंट पद के लिए आवेदन नहीं कर सकता है। इसका नतीजा यह होगा कि वह डॉक्टर किसी संस्थान में सहायक प्रोफेसर की पोस्ट के लिए आवेदन नहीं कर सकेगा। इस नियम का असर कई राज्यों में डॉक्टरों पर पडे़गा। एमसीआई के इस नियम का खामियाजा उन प्राइवेट और सरकारी मेडिकल काॅलेजों को भुगतना पड़ेगा जो नए बन रहे हैं। भविष्य में अब बगैर योग्यता पूरी किए यदि कोई संस्थान इस पद पर डॉक्टरों की भर्ती करता है तो एमसीआई के नियमानुसार वह मान्य ही नहीं होगा। यदि हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस की बात करें तो यहां एमबीबीएस डॉक्टर को पहले पांच साल नौकरी करने के बाद ही एमडी, एमएस में आरक्षित कोटे के लिए आवेदन करने की मंजूरी मिलती है। ऐसे में इनके लिए सहायक प्रोफेसर की सीट लेना काफी मुश्किल हो जाएगा। 

ऐसे चलती है प्रक्रिया


एमबीबीएस में प्रवेश के दौरान सामान्य आयु-17, 

एमडी और एमएस कोर्स पूरा करने के दौरान-28, 

एक साल की एसआरशिप-29,

डीएम और एमसीएच के दौरान-33। 

40 वर्ष से ज्यादा के डाॅक्टर नहीं कर पाएंगे आवेदन

एमसीआई ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके अनुसार सहायक प्रोफेसर के पद पर केवल वे ही डॉक्टर आवेदन कर पाएंगे जिन्होंने मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेज में कम से कम एक साल बतौर सीनियर रेजिडेंट काम किया हो। 40 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद यदि कोई डॉक्टर सीनियर रेजिडेंट पद पर काम करता है तो इस अनुभव के आधार पर आवेदन नहीं कर पाएगा।

सीनियर रेजिडेंट का मुख्य कार्य

एमडी और एमएस करने के बाद डॉक्टर के जिम्मे ओपीडी में मरीजों की जांच करना, ऑपरेशन करना और वार्डों में राउंड कर मरीजों की स्थिति को देखना होता है। ये मरीज का उपचार करने में पूर्ण रूप से एक्सपर्ट होते हैं। 

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