नई दिल्ली। सिविल सेवा की परीक्षा में बैठने वाले उम्मीदवारों के लिए काफी अच्छी खबर है। सरकार इस परीक्षा में शामिल होने वाले नौजवानों की आयुसीमा में कोई बदलाव नहीं करने जा रही है। ऐसा कहा जा था कि बासवान समिति की सिफारिशों को लागू करते हुए सरकार ऊपरी आयु सीमा को 32 साल से घटाकर 26 साल कर सकती है लेकिन सरकार ने इन अटकलों को खारिज कर दिया है। केंद्रीय कार्मिक राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि फिलहाल परीक्षा के नियमों में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है। जिन नियमों के तहत परीक्षा पिछले साल हुई थी, वह इस बार भी रहेंगे।
विरोध से डरी सरकार
गौरतलब है कि सिविल सेवा की परीक्षा में शामिल होने की उम्रसीमा 21 साल से 32 साल है। पूर्व सचिव बासवान समिति ने सरकार को इसकी अधिकतम उम्रसीमा को 26 साल तक करने की सिफारिश की थी लेकिन विरोध से बचने के लिए सरकार ने अभी इसे टाल दिया है। फिलहाल इसमें कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है। सिविल सेवा में बैठने के लिए न्यूनतम आयु 21 साल है। जबकि सामान्य उम्मीदवारों के लिए अधिकतम आयुसीमा 32 साल, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 35 साल, अनुसूचित जातिध्जन जाति के लिए 37 साल तथा दिव्यांगों के लिए 42 साल है लेकिन इसमें शर्त यह है कि सामान्य उम्मीदवार को अधिकतम छह मौके, ओबीसी को 9 मौके मिलेंगे। अनुसूचित जातिध्जन जाति के लिए मौकों की सीमा नहीं है।
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लोकसभा में उठी मांग
सिविल सेवा परीक्षा में सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूट टेस्ट (सीसैट) की शुरुआत के कारण 2011-14 के बीच प्रभावित छात्रों को परीक्षा में बैठने के लिए नए मौके देने की मांग लोकसभा में उठी थी। सांसद जयनारायण यादव ने शूल्यकाल में मुद्दा उठाते हुए कहा कि 2011 में यूपीएससी ने सिविल सेवा परीक्षा में बदलाव करते हुए सीसैट प्रश्न-पत्र शुरू किया था। यह एप्टीट्यूड आधारित है तथा बड़ी संख्या में ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्र इससे पिछड़ गए इसलिए ऐसे छात्रों को परीक्षा में बैठने के अतिरिक्त अवसर दिए जाने चाहिए।