धरती पर मौजूद पुराणों में शनि ग्रह के प्रति कई आख्यान प्राप्त होते हैं। कहा जाता है कि शनिदेव सूर्य के पुत्र हैं और वे ही कर्मफल के दाता हैं। हालांकि उन्हें पितृ शत्रु भी कहा जाता है। कई भ्रांतियों के तहत शनि ग्रह को मारक, अशुभ और दुख कारक माना जाता है। पाश्चात्य ज्योतिषी भी उसे दुख देने वाला ग्रह मानते थे लेकिन शनि उतना अशुभ और मारक भी नही है। मोक्ष को देने वाला एक मात्र शनि ग्रह ही है। सत्य तो यह ही है कि शनि प्रकृति में संतुलन पैदा करता है। वहीं कहा जाता है कि सभी 9 ग्रहों में अकेला शनि ही ऐसा ग्रह है जो प्रमुख दंडाधिकारी है। बहरहाल, इन दिनों शनि अपने ही गुरू पुष्य योग में अस्त हो रहे हैं। जिन राशियों पर शनि की साढ़े साती है उन्हें विशेष रूप से सर्तक रहना होगा।
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आखिर क्या होता है अस्त ग्रह
विद्वानों और पंडितों के अनुसार, जब कोई ग्रह सूर्य के नजदीक पहुंचता है तो कहा जाता है कि वह ग्रह अस्त हो रहा है। माना जाता है कि सूर्य के नजदीक पहुंचकर 9 डिग्री से कम ग्रह अस्त हो जाते हैं। विभिन्न ग्रहों की विभिन्न डिग्रियां होती हैं। हालांकि इन तथ्यों को लेकर पंडितों के मत में कुछ विभिन्नता भी है। बहरहाल, 5 दिसंबर मंगलवार की रात्रि में शनि अस्त हो गया है। इसके साथ ही धनु राशि में बैठा शनि डूब गया है।
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इसका क्या होगा असर
जानकारों का कहना है कि इस समय वृश्चिक, धनु और मकर राशियों पर शनि की साढ़े साती चल रही है। ऐसे में इन राशियों के जातक को अब लाभ होगा, क्योंकि इन ग्रह के लोगों का शनि शांत रहेंगे। हालांकि पंडितों का कहना है कि ऐसी स्थिति में समस्या बढ़ भी सकती है। साढ़े साती और ढैय्या से ग्रस्त लोगों पर मान सम्मान और शारीरिक पीड़ा समेत आर्थिक हानि हो सकती हैं।
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कन्या-वृषभ राशि के लिए शुभ स्थिति
जहां एक ओर कुछ ग्रहों पर इससे आफत आ सकती है वहीं दूसरी ओर कन्या और वृषभ राशि वालों के लिए स्थिति अत्यंत शुभ है। उनके सम्मान में वृद्धि होगी, आर्थिक हानि से बचेंगे, शुभ समाचार मिल सकता है और फंसा पैसा भी वापस आ कता है।
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