अमूमन ऐसा माना जाता है कि शनि देव लोगों को कष्ट या सजा देने वाले हैं लेकिन सच यह है कि वह हमेशा सदमार्ग पर चलकर परम कल्याण के लिए प्रेरित करते हैं। शनिदेव परम कल्याणकर्ता न्यायाधीश और जीव का परमहितैषी ग्रह है। कहते हैं जन्म जन्मान्तर तपस्या के बाद अविद्या और माया से प्रभावित होकर जो लोग बुरे कर्म करने लगते हैं और तप पूर्ण नही कर पाते हैं, उनकी तपस्या को सफल करने के लिये शनिदेव भावी जन्मों में पुन: तप करने की प्रेरणा देते हैं। शनिवार को शनिदेव का दिन कहा जाता है। इस दिन उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत और पूजन किया जाता है। ऐसे में इन बातों का खास ख्याल रखें।
व्रत नहीं सिर्फ पूजन से हो जाते हैं खुश
बता दें कि शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए जरुरी नहीं की लोग शनिवार का व्रत लें। अगर जातक व्रत लेने में असमर्थ है तो केवल पूजन के जरिए भी उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है। शनि की पूजा के लिए आपको किसी दिन विशेष की जरूरत नहीं साल के किसी भी शनिवार से आप उनके व्रत पूजन की शुरुआत कर सकते हैं।
पूजन के लिए खास बातों का रखें ध्यान
यूं तो शनि का पूजन किसी भी शनिवार के दिन से शुरू किया जा सकता है लेकिन इस दौरान ध्यान रखा जाए कि इनके पूजन से पहले कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें। ऐसा करने पर शनि की दशा और उनका कोप का प्रभाव कम हो जाता है। तो चलिए हम बताते हैं उन बातों के बारे में जिनका ध्यान रखकर आप शनि का ताप से बच सकते हैं। पूजन को सही तरीके से किए जाने पर शनिदेव से आपको सुख और शांति का वरदान मिल जाएगा।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
शनिदेव की पूजा करने के लिए ध्यान रखें कि प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें। इसके बाद शनिदेव की प्रतिमा की विधिपूर्वक पूजा करें। उनको लाजवंती का फूल, तिल, तेल, गुड़ आदि अर्पण करें। शनिवार के दिन शनि देव के नाम का तेल का दीपक जलायें और भूल वश किए पापकर्म और जाने अनजाने में किए गए अपराधों के लिए क्षमा मांगे।
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राहु-केतु की भी पूजा करें
इस दौरान ध्यान रखें कि शनिदेव की पूजा करने के बाद राहु-केतु की पूजा भी करें। शनिवार के दिन मंदिर में जाकर पीपल के पेड़ का दिया जलाना चाहिए और उसमे जल देने के बाद सूत्र बांधकर सात बार उसकी परिक्रमा भी करनी चाहिए। संध्या काल में भी शनि देव की दीप जलाकर पूजा करनी चाहिए।
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उड़द की दाल की खिचड़ी बनाएं
इसी क्रम में इस बात का ध्यान रखें कि इस दौरान भोग लगाने के लिए उड़द की दाल की खिचड़ी बनाकर उसका भोग लगाएं। बाद में खिचड़ी को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। बहुत अच्छा होगा कि इस दिन काली चीटियों को गुड़ व आटा डालें। काले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। शनि के प्रकोप को झेल रहे लोगों को शनिवार के दिन 108 तुलसी के पत्तो पर श्री राम चंद्र जी का नाम लिखकर माला बनाये और उसे विष्णु जी को पहनायें।
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गरीबों को उड़द, तेल, तिल , कंबल-कपड़ा दान करें
इसके अंतिम चरण में आप गरीबों को दान भी करें। ऐसा करने से शनिदेव सबसे ज्याद खुश होते हैं। शनिवाक को उड़द की दाल, तेल, तिल, काली गाय, भैस, लोहा, उससे बनी वस्तू दान करने से आप पर शनिदेव की कृपा होती है। शास्त्रों में बताया गया है कि इन चीजों के दान से शनि का प्रकोप कम होता है।