देहरादून। उत्तराखंड में अपनी नई सियासी पारी शुरू करने के लिए बीजेपी बेचैन है। पार्टी के द्वारा उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने के बाद नेताओं में बगावत के स्वर और तेज हो गए हैं। गंगोत्री समेत 22 विधानसभा क्षेत्र की सीटों पर असंतोष की लहर है। वर्षों से पार्टी की सेवा कर रहे नेताओं ने अपनी जगह बाहर से आए नेताओं को तरजीह देने पर असंतुष्ट हैं।
घर के बजाय बाहरी लोगों को तरजीह
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड के लिए उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी कर दी है। इस सूची में अपना नाम न पाकर प्रदेश के नेताओं ने पार्टी का विरोध करना शुरू कर दिया है। पार्टी के जिन नेताओं को टिकट नहीं मिला उनका कहना है कि पार्टी उनकी जगह किसी दूसरे नेता को टिकट दे देती लेकिन पार्टी ने उनकी जगह बाहर से आए नेताओं को तरजीह दी। इससे उन्हें काफी दुख हुआ है।
किस सर्वे के आधार पर दिया टिकट
भारतीय जनता पार्टी के अनुसार सर्वे के आधार पर जिन नेताओं को जिताऊ पाया गया है उन्हें ही टिकट दिया गया है। लेकिन सूची पर नजर डालें तो कांग्रेस से आए नेता यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य को टिकट देने पर पार्टी के नेता पूछ रहे हैं कि यहां पर कौन सा सर्वे किया था।
डेमेज कंट्रोल में जुटी पार्टी
बगावत का झंडा बुलंद होने वाली सीटों की अगर बात की जाए तो गंगोत्री, यमुनोत्री, यमकेश्वर, कोटद्वार, घनसाली, पुरोला, रुड़की, गंगोलीहाट, बागेश्वर, कपकोट,चैबट्टाखाल, राजपुर रोड, मसूरी, नरेन्द्रनगर, केदारनाथ, ज्वालापुर, अल्मोड़ी और काशीपुर सहित अन्य कई विधानसभा सीटें शामिल हैं।हालांकि भारतीय जनता पार्टी इस बात को लेकर डेमेज कंट्रोल के मोड में आ गई है। प्रदेश पार्टी अध्यक्ष अजय भट्ट ने बगावत करने वाले नेताओं से शांति और धैर्य बरतने को कहा है। नाराज नेताओं को मनाने के लिए कुछ केन्द्रीय नेताओं को भी जिम्मेदारी दी गई है लेकिन पार्टी इसमें बहुत ज्यादा कामयाब नहीं हो पाई है। ऐसे में प्रदेश में चुनावी समीकरण के बिगड़ने के आसार ज्यादा नजर आ रहे हैं।