नई दिल्ली। मौसमी बदलाव और दिवाली के मौके पर अस्थमा से पीड़ित मरीजों के लिए काफी खतरनाक होता है। इस दौरान उन्हें काफी संभलकर रहना पड़ता है अन्यथा उनकी परेशानियां बढ़ जाती हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर रोक जरूर लगा दी है लेकिन पटाखा चलाने पर किसी तरह की सख्ती नहीं की गई है। ऐसे में पटाखा चलाने वाले तो चलाएंगे ही। अस्थमा से पीड़ित लोग इस दौरान किस तरह की सावधानियां बरत सकते हैं इसके बारे में हम आपको बता रहे हैं।
2 करोड़ से ज्यादा मरीज
गौरतलब है कि इन दिनों पूरे देश में बढ़ते प्रदूषण की वजह से सांस की नली की संवेदनशीलता बढ़ती जा रही है। फिलहाल देश में अस्थमा से लगभग करीब डेढ़ से 2 करोड़ लोग प्रभावित हैं। बता दें कि अस्थमा फेफड़ों की एक गंभीर बीमारी है, जो सांस लेने की नली को संकरा कर देती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न और खांसी आती है। खाने में विटामिन डी की मात्रा बढ़ाकर इस परेशानी को थोड़ा कम किया जा सकता है। आइए हम आपको बता दें कि आप किस तरह से अस्थमा को पहचान सकते हैं। इससे ग्रस्त मरीजों को अक्सर रात में सांस लेने में परेशानी, विशेषकर सांस छोड़ने के समय होने वाली घरघराहट, छाती में जकड़न की समस्या पेश आती है। अस्थमा रोग विशेषज्ञ डाॅक्टर केके अग्रवाल का कहना है कि इससे बचाव के लिए इंसान को हमेशा चिकित्सकों के संपर्क में रहना चाहिए।
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अस्थमा को काबू में रखने के सुझाव
चिकित्सा सलाह का ध्यानपूर्वक पालन करें। अस्थमा पर नियमित रूप से निगरानी रखने की आवश्यकता है और निर्धारित दवाएं लेकर लक्षणों को काबू में रखने में मदद मिल सकती है।
इंफ्लूएंजा और न्यूमोनिया के टीके लगवाने से अस्थमा के दौरे से बचा जा सकता है।
उन ट्रिगर्स को पहचानें जो अस्थमा को तेज करते हैं। ये एलर्जी पैदा करने वाले धूलकण और सूक्ष्म जीव तक कुछ भी हो सकते हैं।
सांस लेने की गति और अस्थमा के संभावित हमले को पहचानें। इससे आपको समय पर दवा लेने और सावधानी बरतने में सहूलियत होगी।