नई दिल्ली। भारत में गुर्दे के इलाज में बहुत बड़ी मात्रा में प्रयोग होने वाली स्टेरॉयड से मरीजों में संक्रमण का खतरा काफी हद तक बढ़ने की संभावना होती है। ऐसा दावा करते हुए एक अध्ययन में इलाज के तरीकों को बदलने का सुझाव दिया गया है। जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ द्वारा किए गए इस अध्ययन के मुताबिक, मिथाइलप्रेडनिसोलोन की गोलियों से किया जा रहा इलाज विभिन्न प्रकार के प्रतिकूल प्रभावों के खतरे से जुड़ा हुआ है। इसके चलते संक्रमण, गैस्ट्रिक संबंधी परेशानियां और हड्डियों से जुड़ी दिक्कतें इत्यादि होती हैं। खास तौर पर यह दिक्कतें आईजीए नेफ्रोपैथी और जिनको यूरिन में ज्यादा प्रोटीन आता है, उनसे जुड़ी हुई हैं।
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असल में जब व्यक्ति के गुर्दे में प्रतिजैविक इम्युनोग्लोबुलिन ए (आईजीए) जमा हो जाता है, तब उसे आईजीए नेफ्रोपैथी नामक बीमारी हो जाती है। जीआईजीएस इंडिया के निदेशक विवेकानंद झा ने बताया कि आईजीए नेफ्रोपैथी वाले लोगों में करीब 30 लोगों को गुर्दे की गंभीर समस्याएं हो जाती हैं।
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