नई दिल्ली । अकसर आप ने देखा होगा कि परेशानी और तनाव में लोगों का व्यवहार चिड़चिड़ा और गुस्सैल हो जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही परेशानी और तनाव बच्चे को जल्दी मैच्योर बनाता है। राडबौड विश्वविद्यालय में बच्चों पर हुए शोध में इस बात का खुलासा हुआ है ।
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शोधकर्ताओं ने अपने शोध में दो तरह के तनाव का अध्ययन किया । शोध में इस बात का भी पता चला कि तनाव दो तरह के होते हैं। पहला तनाव वह है जो जीवन में घटित घटनाओं के कारण होता है और दूसरा वह होता है जो समाज में हो रही घटनाओं के कारण उत्पन्न होता है ।
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बता दें कि शोधकर्ताओं ने 5 वर्ष के बच्चों से लेकर 17 वर्ष के किशोरों के वर्ग पर किया जिसमें पाया गया है कि तनाव का सीधा प्रभाव दिमाग के उस भाग पर पड़ता है जो दिमाग को मैच्योर करने से सीधा जुड़ा होता है। दिमाग का ये भाग समाजिक और भावनात्मक प्रतिक्रिया को व्यक्त करने में काम आता हैं। इसी के साथ शोध में इस बात को भी पता चला हैं कि तनाव न होने से बच्चे में परिपक्वता की क्रिया भी धीमी होती है और ज्यादा तनाव में कई बार असामाजिक तत्व के लक्षण भी दिखने लगते है।