Friday, April 19, 2024

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3 साल पहले कोई जानता नहीं था, 1 साल पहले पार्टी बनाई और अब बन मैक्रों गए फ्रांस के सबसे युवा राष्ट्रपति

अंग्वाल न्यूज डेस्क
3 साल पहले कोई जानता नहीं था, 1 साल पहले पार्टी बनाई और अब बन मैक्रों गए फ्रांस के सबसे युवा राष्ट्रपति

पेरिसः एक साल पहले ही एक नई पार्टी बनाई। तीन साल पहले तक कोई ठीक से जानता भी नहीं था औऱ अब वह दुनिया के एक ताकतवर व अहम देश फ्रांस के नए राष्ट्रपति हैं। महज 39 साल के इमैनुएल मैंक्रों ने फ्रांस के राष्ट्रपति पद का चुनाव बड़े अंतर से जीत लिया है। उन्होंने फ्रांस की बिगड़ी इकॉनमी को सुधारने और यूरोपियन यूनियन को सपोर्ट करने का वादा करके जनता का दिल जीत लिया। वह सबसे युवा राष्ट्रपति बन गए हैं। चुनाव में मैक्रों ने कद्दावर नेता ली पेन को हराया। इमैनुएल मैक्रों महज एक साल पहले बनी ‘एन मार्क’ पार्टी की तरफ से चुनाव लड़े जबकि ली पेन नेशनल फ्रंट पार्टी की उम्मीदवार थीं।

बड़े अंतर से मिली जीत

फ्रैंकों को मध्यमार्गी माना जाता है। वह बैंकर रह चुके हैं और राजनीति में कुछ ही समय पहले पूरी तरह से सक्रिय हुए हैं। चुनाव के शुरूआती आंकड़ों के मुताबिक मैक्रों को 65.5. परसेंट से लेकर 66.1 परसेंट तक वोट मिले हैं। कट्टरपंथी और यूरोपियन यूनियन की विरोधी ली पेन को केवल 34.5 परसेंट बैलट सपोर्ट ही मिलने की खबर है।

यूरोपियन यूनियन व रिफ्यूजीज के सपोर्टर हैं  

मैक्रों फ्रांस और यूरोप के राजनीतिक पटल पर महज तीन साल पहले ही सक्रिय हुए। उसके पहले उन्हें कोई ठीक से जानता तक नहीं था। मैक्रों की सबसे ताकतवर बात रही उनका यूरोपियन यूनियन के पक्ष में होना व देश के लिए इकॉनमिक रिफॉर्म की शुरुआत का एजेंडा रखना। यही बातें फ्रांस की जनता को भा गईं और उसने मैक्रों को सिर आंखों पर बिठा लिया। इस परिणाम का पूरी दुनिया पर असर होगा, लेकिन बेल्जियम और जर्मनी के नेताओं पर खास असर होगा। दरअसल ली पेन को इस चुनाव में शक्तिशाली नेता माना जाता है और यूरोपियन यूनियन को लेकर उनका धुर विरोधी रवैया चिंता का विषय था।


पहले चरण से ही आगे थे मैक्रों

चुनाव प्रचार के दौरान धुर दक्षिणपंथी ली पेन ने मैक्रों को ‘ग्लोबलिस्ट’ करार दिया था और कहा था कि वह फ्री ट्रेड और रिफ्यूजी सपोर्टर हैं। मैक्रों पहले चरण से ही आगे चल रहे थे और वे सभी सर्वेक्षणों में भी बढ़त बनाए हुए थे। मैक्रों के सामने अब सरकारी खर्च घटाने,  श्रम कानून सरल बनाने,  शिक्षा पर जोर देने और सेल्फ एम्प्लॉयमेंट के लिए नई पॉलिसी बनाने जैसे अहम बिंदु एजेंडे पर रहेंगे। शुक्रवार को प्रकाशित पांच चुनाव सर्वेक्षणों में पहले ही मैक्रों को करीब 62 परसेंट वोट के साथ बढ़त पर दिखाया गया था।

टूट गए सभी मिथक

फ्रांस में हुए इस बार के चुनावों ने सभी मिथकों को तोड़ दिया। चुनाव से पहले वहां पर हुए स्कैंडल ने लोगों को लगातार चौंकाया। वहीं अंतिम समय में 39 वर्षीय राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार मैक्रों के चुनावी अभियान को हैक कर लीक कर दिया गया। मैक्रॉन ने इससे पहले किसी भी चुनाव में भाग नहीं लिया था। 

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