गोरखपुर । गोरखपुर के सरकारी अस्पताल में आक्सीजन की कमी से मरने वालों की संख्या 33 नहीं बल्कि 63 है। शुक्रवार रात को 33 बच्चों की मौत से मामला गर्मा गया है जबकि पिछले 6 दिनों में यहां मरने वालों की संख्या असल में 63 हो गई है। इस मामले में अब जहां आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। वहीं ऑक्सीजन की सप्लाई रोकने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स के मालिक मनीष भंडारी के कई ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है। हालांकि इस पूरे मामले में प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है, जिसने अस्पताल प्रशासन की लंबे समय से की जा रही मांग को नजरअंदाज किया। अभी तक इस यह बात भी स्पष्ट रूप से नहीं कही जा रही है कि मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी के चलते ही हुई है क्योंकि अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी थी ही नहीं, जबकि स्टॉफ ने यह बात मानी है कि ऑक्सीजन की कमी थी, जिसकी मांग के बावजूद सुनवाई नहीं हो रही थी। बहरहाल, अब इस मुद्दे पर राजनीति पूरी तरह से गर्मा गई है। सपा,कांग्रेस ने योगी सरकार को इस घटना का जिम्मेदार ठहराते हुए सीएम योगी से इस्तीफे की मांग की है।
गुरुवार को सप्लाई रोक दी गई
असल में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 13 बच्चे एनएनयू वार्ड और 17 इंसेफेलाइटिस वार्ड में भर्ती थे। अस्पताल प्रशासन द्वारा पिछले काफी समय से ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी को भुगतान नहीं किया था, यह रकम करीब 69 लाख रुपये बताई जा रही है। इसके चलते फर्म ने गुरुवार को ऑक्सीजन की सप्लाई रोक दी थी। ऑक्सीजन की कमी के चलते शुक्रवार रात 33 बच्चों की मौत हो गई, जिसके बाद राज्य में सियासी भूचाल भी आ गया है। बाद में सामने आया कि पिछले 6 दिनों में अस्पताल में 63 बच्चों की मौत हो चुकी है, हालांकि अपनी ओर से लापरवाही उजागर होने पर अस्पताल प्रशासन ने ऑक्सीजन की कमी से इंकार किया है।
ऑपरेटर ने चिट्ठी लिखकर चेताया था
इस पूरे हालात को देखते हुए ऑपरेटर ने एक चिट्ठी लिखकर ऑक्सीजन के संक से आला अधिकारियों को सचेत किया था, लेकिन प्रशासन सोता रहा। किसी ने उसकी चिट्ठी को गंभीरता से नहीं लिया। अस्पताल की सेंट्रल पाइप लाइन के ऑपरेटर कमलेश तिवारी और कृष्ण कुमार ने अपनी चिट्ठी में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य समेत विभागाध्यक्ष, प्रमुख चिकित्सा अधिक्षक और नोडल अधिकारी को भी इस पूरे मामले से अवगत कराय था।
जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं अस्पताल-प्रशासनइस पूरे मामले में अभी भी अस्पताल और प्रशासन जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी का मामला काफी समय से गहराया हुआ था, लेकिन अब मौत पर अस्पताल प्रशासन कह रहा है कि ऑक्सीजन की कोई कमी थी ही नहीं। वहीं प्रशासन के अधिकारी भी इस मामले को लेकर अभी मौन है, जबकि उन्हें लिखित रूप से इस संकट से अवगत करवा दिया गया था, इस सब के बावजूद प्रशासनिक अधिकारी उदासीन रहे, जिसके चलते 62 बच्चों की मौत हो गई।
मनीष भंडारी के ठिकाने पर छापे
वहीं अस्पताल को ऑक्सीजन सप्लाई करवाने वाले मनीष भंडारी के ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है। बताया जा रहा है कि ऑक्सीजन की कमी का मामला लंबे समय से अस्पताल प्रशासन के संज्ञान में था, लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया। अब पुष्पा सेल्स के ठिकानों पर दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं।
सीएम को भी किया गुमराह
बता दे कि सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने गत 9 तारीख को ही अस्पताल का दौरा किया था, जिसमें अस्पताल प्रशासन ने सच्चाई से उन्हें भी दूर ही रखा। बताया जा रहा कि तीन घंटे अस्पताल में बिताने के दौरान योगी ने अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों से अस्पताल की समस्या के बारे में बताया। उस दौरान वहां जिले और अस्पताल से सभी बड़े अधिकारी मौजूद थे, लेकिन किसी ने भी उन्हें ऑक्सीजन की कमी के संकट से अवगत नहीं कराया, जिसका खामियाजा 63 परिवारों को अपने बच्चे खोने के रूप में भुगतना पड़ा है।