अहमदाबाद । भाजपा ने गुजरात चुनावों से पहले एक बड़ा फैसला लिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भाजपा इस बार अपने दो बार विधायक रह चुके नेताओं को टिकट नहीं देने जा रही है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि भाजपा को सत्ता विरोधी लहर (एंटी इनकंबेंसी) के चलते कोई नुकसान न हो। हालांकि इस दौरान बताया जा रहा है कि गुजरात में युवा और काफी प्रभावशाली नेताओं पर यह नियम लागू नहीं होगा। गुजरात विधानसभा चुनावों के मद्देनजर अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करने से ठीक पहले भाजपा ने यह फैसला लेकर विपक्षी दलों को करारा झटका दिया है।
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बता दें कि गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा किसी भी प्रकार की एंटी इनकंबेंसी यानी सत्ता विरोधी लहर की काट के लिए नया फार्मूला बना रही है। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा ने इस बार दो बार से ज्यादा विधायक रहे अपने नेताओं को इस बार चुनाव में टिकट नहीं देने का फैसला लिया है। हालांकि लोकप्रिय और युवा नेताओं को इस फार्मूले से अलग रखा गया है।
सूत्रों के अनुसार, भाजपा गुजरात में दिल्ली निकाय चुनाव में लागू किए गए अपने फार्मूलों को फिर से आजमाना चाहती है, जिसमें लगातार तीन बार से काबिज भाजपा ने अपने अधिकांश मौजूदा पार्षदों के टिकट काटकर नए उम्मीदवार खड़े किए थे। पार्टी ने इस तरह अपने पार्षदों को लेकर लोगों के गुस्से का काट किया, जिसका साकारात्मक परिणाम भी देखने को मिला था।
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खबरें हैं कि इस बार पाटीदार आंदोलन के साथ ही राज्य में कई तरह के मुद्दों को लेकर कई संगठनों समेत विपक्ष ने भाजपा सरकार पर कई हमले किए हैं। इसके चलते लोगों में सत्ता विरोध लहर भी पैदा हुई है, जिसे खत्म करने के लिए भाजपा ने नया प्लान तैयार किया है। असल में पिछले दिनों सोशल मीडिया पर 'विकास गांडो थयो छे' भी ट्रेंड कर रहा था, जहां लोग राज्य में हुए विकास का मजाक उड़ा रहे थे। राज्य के पाटीदारों में बीजेपी का विरोध मुखर होकर सामने आ रहा है। भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए पाटीदार इलाकों में 'धारा 144 ' लगा दिया गया है। कई पाटीदार इलाकों में इस तरह के बैनर लगाए गए हैं कि 'बीजेपी वाले यहां वोट मांगने न आएं। वहीं प्रचार के लिए पहुंचे भाजपा कार्यकर्ताओं को भगाया जा रहा है, कार्यकर्ताओं का कहना है कि उनके ऊपर अंडे भी फेके गए।