लखनऊ । राजद प्रमुख लालू यादव को चारा घोटाले में मिली सजा को कम करने के लिए सीबीआई जज से सिफारिश करने वाले यूपी के जालौन के डीएम डॉ.मन्नान अख्तर के साथ एसडीएम अब सूबे से सीएम योगी आदित्यनाथ के निशाने पर हैं। योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में डीएम डॉ. मन्नान अख्तर व एसडीएम के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। इतना ही नहीं इस मामले में योगी आदित्यनाथ सरकार अपराधी की पैरवी करने पर बिफरी हुई है। शासन ने इन आला अधिकारियों को तलब किया है। साथ ही दिल्ली से भी आला कमान ने चीफ सेक्रेटरी से भी उनकी रिपोर्ट मांगी है। इसके बाद से शासन में हड़कंप मचा हुआ है। सीएम के इस आदेश के बाद झांसी के कमिश्नर अमित गुप्ता ने डीएम डॉ मन्नान अख्तर और एसडीएम भैरपाल सिंह के खिलाफ जांच शुरू कर दी है।
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बता दें कि चारा घोटाले के आरोप लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दिए जाने के बाद रांची में सीबीआई की विशेष अदालत के जज ने कहा था कि लालू के कई चाहने वाले उन्हें फोन कर रहे हैं और कई तरह की बातें भी पूछ रहे हैं। बाद में खुलासा हुआ कि मन्नान अख्तर जालौन से लालू प्रसाद यादव को बचाने के लिए दबाव बना रहे थे। जज ने लालू प्रसाद यादव को सजा सुनाने के दौरान सिफारिशी फोन आने का जिक्र भी किया था, लेकिन उन्होंने किसी का नाम लिया था। हालांकि इस सब के बाद न्यायधीश शिवपाल सिंह ने लालू यादव को साढ़े तीन साल कैद की सजा सुनाई है। इस सब के बाद खुलासा हुआ था कि यूपी के जालौन के डीएम और एसडीएम ने भी जज शिवपाल को फोन कर लालू की सजा के संबंध में सिफारिश की थी।
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फिलहाल चारा घोटाले के आरोप में रांची की जेल में बंद लालू यादव के पक्ष में पैरवी करने के मामले में जालौन के डीएम डॉ.मन्नान अख्तर के साथ एसडीएम अब सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ के रडार पर हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में जालौन के डीएम डॉ. मन्नान अख्तर व एसडीएम के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं।
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सूत्रों का कहना है कि सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह को 23 दिसंबर, 2017 को फोन कर बताया कि आप ही लालू का केस देख रहे हैं, जरा देख लीजिएगा। दिलचस्प तथ्य यह है कि जिस कलेक्टर ने शिवपाल सिंह को झारखंड में कानून पढ़कर आने की नसीहत दी थी, उन्होंने ही फोन कर लालू को बचाने की सिफारिश जज से की। इतना ही नहीं एसडीएम भैरपाल सिंह ने भी सिफारिश के लिए संपर्क साधा।
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