नई दिल्ली । देश में एक बार फिर से केंद्रीय जांच एजेंसी यानी CBI पर केंद्र सरकार के इशारों पर काम करने के आरोप लगे हैं। रविवार को कोलकाता के शारदा चिटफंड घोटाले के मामले में डीजीपी के खिलाफ कार्रवाई करने पहुंची सीबीआई टीम को बंधक बनाने के बाद मंगलवार को सड़क सुप्रीम कोर्ट से लेकर संसद तक इस मुद्दे पर हंगामा हुआ। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह चिटफंड घोटाला है क्या। आखिर ऐसा क्या हुआ है कि पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार कोलकाता पुलिस के डीजीपी के खिलाफ हो रही कार्रवाई के विरोध में खुद धरने पर बैठ गई हैं। इतना ही नहीं एक समय यूपीए की सरकार में इस घोटाले की जांच के आदेश देने वाली कांग्रेस अब खुद इस मामले में ममता बनर्जी सरकार के पक्ष में खड़ी दिख रही है। तो सबसे पहले बताते हैं कि आखिर क्या था यह चिटफंड मामला....
पश्चिम बंगाल का बड़ा आर्थिक घोटाला
असल में वर्ष 2008 में शारदा चिटफंड को चलाने वाली कंपनी की स्थापना हुई। इस कंपनी के चेयमैन सुदीप्त सेन हैं। कंपनी ने लोगों से कहा कि उनकी रकम को कुछ समय में ही 34 गुना करके दिया जाएगा। इस कंपनी के इस प्लान का जमकर प्रचार प्रसार हुआ, जिसके चलते बड़ी संख्या में लोगों ने अपने पैसा कंपनी में जमा कर दिया। कंपनी द्वारा निर्धारित समय के बाद जब निवेशक अपनी मैच्योरिटी पर अपना रिटर्न लेने पहुंचे तो पहले तो कंपनी ने टालमटोल शुरू की फिर पैसे देने से मना किया और एक दिन अपने सभी ऑफिसों पर ताले लगा दिए। इस तरह इस घोटाले को अंजाम दिया गया। एक आंकड़े के अनुसार , यह घोटाला करीब 2500 करोड़ रुपये का है। इस मामले में यूपीए सरकार ने जांच के आदेश दिए थे।
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रोज वैली घोटाला भी उजागर
वहीं पश्चिम बंगाल में ही ऐसा एक दूसरा चिटफंड घोटाला उजागर हुआ, जो रोजवैली घोटाले के रूप में सामने आया। सामने आया कि इसमें 17 हजार करोड़ रुपये का घोटाला किया गया, जिसमें तृणमूल कांग्रेस सांसद सुदीप बंदोपाध्याय और तापस पॉल को सीबीआई गिरफ्तार भी कर चुकी है। सीबीआई ने रोज वैली के अध्यक्ष गौतम कुंदू पर आरोप लगाए कि उन्होंने देशभर में निवेशकों के 17 हजार करोड़ रुपये का घोटाला किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में सीबीआई को जांच के आदेश
इस सब के बाद वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को शारदा चिटफंड घोटाले की जांच के आदेश दिए। शारदा के चेयरमैन सुदीप्त सेन पर आरोप लगे कि उन्होंने घोखेबाजी कर निवेशकों के फंड का दुरुपयोग किया। उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल , ओडिशा और असम पुलिस को आदेश दिया कि वह सीबीआई की जांच में उनका सहयोग करें।
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डीजीपी राजीव कुमार की क्या है भूमिका
कई सालों के बाद एक बार से यह मुद्दा तब उठा जब सीबीआई की एक टीम कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के घर पहुंची। इस मामले में राजीव कुमार जांच के घेरे में हैं। राजीव कुमार ही वह पुलिस अधिकारी हैं जिन्होंने चिटफंड घोटाले की जांच करने वाली एसआईटी टीम की अगुवाई की थी। उन्होंने ही सुदीप्त सेन को जम्मू कश्मीर से गिरफ्तार किया था। अब आरोप लगाए जा रहे हैं कि शारदा चिटफंड के चेयरमैन सुदीप्त सेन से मिली एक डायरी को पुलिस ने गायब कर दिया था, जिस में उन्होंने उन नेताओं समेत अन्य लोगों के नाम लिखे थे, जिन्होंने चिटफंड कंपनी से रूपये लिए थे। इस मामले में कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने राजीव कुमार को आरोपित किया था।