नई दिल्ली। दूर संचार क्षेत्र में काम करने वाली भारत की सबसे बड़ी कंपनी एयरटेल ने टाटा टेलिसर्विसेस का अधिग्रहण कर लिया है। इस अधिग्रहण के बाद टाटा के करीब 40 लाख उपभोक्ता एयरटेल में स्विच कर जाएंगे। टाटा टेलिसर्विसेस के अधिग्रहण के से एयरटेल को करीब 71 मेगाहर्टज स्पेक्ट्रम का फायदा होगा। बता दें कि एयरटेल इस साल की शुरुआत में टाटा टेलीनाॅर के अधिग्रहण कर चुकी है।
नौकरी का संकट
गौरतलब है कि टाटा कंपनी का इतिहास काफी पुराना रहा है। उसने अपने इतिहास में किसी भी कंपनी को पूरी तरह से बंद नहीं किया है। टाटा टेलिसर्विसेस के सभी कर्मचारियों का भी एयरटेल अपने में विलय कर लेगी। इससे कर्मचारियों पर नौकरी खत्म होने का संकट भी नहीं रहेगा। टाटा के वायरलेस कारोबार के अधिग्रहण के साथ ही एयरटेल को एक कर्ज-मुक्त कंपनी मिलेगी और उसके ग्राहकों की संख्या बढ़कर करीब 32.1 करोड़ हो जाएगी।
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बिजनेस आॅपरेशन का अधिग्रहण
यहां बता दें कि रिलायंस जियो के बाजार में आने के बाद से इस क्षेत्र में बड़े बदलाव देखने में आ रहे हैं। बड़ी कंपनियों का एक दूसरे में विलय हो रहा है। ऐसा लगातार होता रहा तो आने वाले समय में बाजार में गिनी चुनी कंपनियां ही रह जाएंगी। बता दें कि टाटा टेलीसर्विसेज और भारती एयरटेल के करार के तहत भारती एयरटेल टाटा टेलीसर्विसेज के बिजनेस ऑपरेशन का अधिग्रहण करेगी। टाटा ग्रुप का टेलीकॉम बिजनेस 19 सर्कल्स में हैं और विलय के बाद ये सभी एयरटेल के हो जाएंगे। कंपनी के मुताबिक यह अधिग्रहण फिलहाल रेग्यूलेटरी अप्रूवल के लिए भेजा गया है, इसके बाद ही यह मान्य होगा। खबरों के अनुसार भारती ने इस ट्रांजैक्शन को हरी झंडी दे दी है। गौरतलब है कि वोडाफोन और आईडिया के विलय के बाद दोनों के ग्राहकों की मिली संख्या एयरटेल के ग्राहकों की संख्या को पार कर सकती है। आपको बता दें कि दूरसंचार क्षेत्र में यह एकीकरण नई कंपनी रिलायंस जियो द्वारा प्रतिस्पर्धी शुल्क दरों को पेश करने का नतीजा है। जियो ने महज एक साल में ही 12.8 करोड़ ग्राहक बना लिए।