लखनऊ। उत्तरप्रदेश में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को एक बार फिर से झटका लगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग की शिक्षक भर्ती काउंसिलिंग पर रोक लगाने के 17 अक्तूबर 2018 को जारी राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने विनय कुमार सिंह व 8 अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला दिया है। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा है कि सरकार को बीच में भर्ती प्रक्रिया में बदलाव करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा है कि आयोग को जारी प्रक्रिया के अनुसार काउंसिलिंग करने का अधिकार है।
गौरतलब है कि उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग ने करीब 1300 शिक्षकों का चयन कर लिया है। इसके बाद अब सरकार भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए साॅफ्टवेयर विकसित कर काउंसिलिंग करने का निर्णय लिया है। कोर्ट ने कहा कि यह पूरी तरह से कानून के खिलाफ है। कोर्ट की ओर से कहा गया है कि आयोग को ही काउंसलिंग करने का अधिकार है सरकार इसमें कोई बदलाव नहीं कर सकती है।
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यहां बता दें कि विनय कुमार सिंह और अन्य लोगों ने सरकार के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि आयोग एक स्वायत्त संस्था है। अधिनियम के तहत उसे चयन प्रक्रिया अपनाने का अधिकार है। चयन के बीच में सरकार को प्रक्रिया में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के तर्क को सही मानते हुए सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है। अब चल रही प्रक्रिया से भर्ती की काउंसिलिंग पूरी की जाएगी।
गौर करने वाली बात है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अगर सरकार साॅफ्टवेयर के जरिए भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना चाहती है तो उसे नियमों में संशोधन करना चाहिए और यह संशोधन लागू होने की तारीख से ही मान्य होगा। न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने आयोग को इस बात के निर्देश दिए हैं कि वह पद विज्ञापन के नियम के तहत काउंसिलिंग कर चयन प्रक्रिया पूरी करे।