अहदाबाद । वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान नरोडा हिंसा मामले में गुजरात की एक विशेष अदालत में सोमवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें इन दंगों में उम्र कैद की सजा पा चुकी भाजपा की मंत्री रहीं माया कोडनानी के बयान के बाद, गवाह के रूप में पेश होने के लिए समन भेजा था। इस दौरान अमित शाह ने कहा कि हिंसा के दौरान माया कोडानानी विधानसभा में ही मौजूद थी। वह मेरे साथ ही सदन में मौजूद थी। अध्यक्ष के साथ सभी विधानसभा सदस्य सदन में मौजूद थे और उस दौरान कोडनानी भी वहीं मौजूद थी।
गौरतलब है कि नरोडा गांव दंगे में अल्पसंख्यक समुदाय के 11 लोगों की हत्या कर दी गई थी। भाजपा सरकार में मंत्री रही कोडनानी को इन दंगों का मुख्य आरोपी करार देते हुए कोर्ट ने उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई थी। हालांकि अभी वह इस मामले में हाल में वह जमानत पर बाहर हैं, लेकिन उन्होंने अपने बयान में कहा था कि घटना के दौरान वह अमित शाह के साथ मौजूद थी। इस मामले से जुड़ी कोडनानी द्वारा दायर याचिका पर, विशेष एसआईटी न्यायाधीश पीबी देसाई ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को 18 सितंबर को अदालत में पेश होने के लिए कहा था। ऐसे में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का बयान कोडनानी के लिए काफी अहम साबित हो गया था।
असल में अपनी याचिका में कोडनानी ने दावा किया था कि शाह, जो उस समय विधायक थे, वो भी उसी सोला सिविल अस्पताल में मौजूद थे, जहां साबरमती ट्रेन में लगी आग के बाद 'कारसेवकों' का शव लाए गए थे। कोडनानी ने कहा था कि शाह की गवाही उनकी बेगुनाही साबित करने में मदद करेगी।
ऐसे में सोमवार को कोर्ट में बतौर गवाह पहुंचे अमित शाह ने साफ किया कि कोडनानी द्वारा कही गई बात सच है। जिस साजिश में शामिल होने के उनपर आरोप लगे है उस दिन वह गुजरात विधानसभा में ही मौजूद थीं। वह मेरे साथ ही सदन में थीं।
विदित हो कि दो हफ्ते पहले, सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी अदालत से चार महीने के भीतर ट्रायल समाप्त करने के लिए कहा था। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली एक पीठ को सूचित किया गया था कि यह मुकदमा चल रहा था और बचाव पक्ष के साक्ष्य एक विशेष अदालत ने दर्ज किए जा रहे थे। शीर्ष अदालत ने निचली अदालत से कहा था कि शेष गवाहों के दो महीनों में बयान दर्ज किए जाएं।
बता दें कि अहमदाबाद में नरोदा गाम में नरसंहार, साल 2002 में हुए दंगों के 9 मुख्य मामलों में से एक है, जिसकी विशेष जांच दल (एसआईटी) ने जांच की थी। 2002 के दंगों में नरोदा गाम में अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े 11 लोग मारे गए थे। इस मामले में कुल 82 लोग मुकदमे का सामना कर रहे हैं। कोडनानी, जो तब नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली राज्य सरकार में मंत्री थीं, को पहले ही दोषी ठहराया गया था और नरोदा पाटिया में दंगों के मामले में 28 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी, जिसमें 97 लोग मारे गए थे।