नई दिल्ली। एनआरसी के मुद्दे पर राज्यसभा में भाजपा अध्यक्ष के बयान पर हंगामा होने के बाद सदन को कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया। इसके बाद शाह ने प्रेस कांफ्रेंस के जरिए अपनी सफाई दी है। उन्होंने कहा कि विपक्ष उन्हें सदन में बोलने नहीं दे रहा है। अमित शाह ने कहा कि एनआरसी से जिन लोगों का नाम हटाया गया है उनकी जांच करने के बाद ही ऐसा किया गया है। इसके आगे उन्होंने कहा कि यह प्राथमिक सूची है कोई फाइनल लिस्ट नहीं है।
गौरतलब है कि उन्होंने कहा कि जो बात वे राज्यसभा में नहीं कह पाए वे प्रेस के सामने कह रहा हूं। अमित शाह ने कहा कि 14 अगस्त 1985 को कांग्रेस के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने ही असम समझौते पर साइन किया था। उनके अनुसार ही यह कहा गया है कि जो असम के नागरिक नहीं हैं उन्हें वहां रहने का कोई अधिकार नहीं है।
यहां बता दें कि अमित शाह ने कहा कि असम मेें घुसपैठ करने वालों ने देश की सुरक्षा और वहां के नागरिकों के प्रति मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं है क्या? उन्होंने कहा कि ये लोग वहां के लोगों के अधिकारों का हनन कर रहे हैं। शाह ने कहा कि जिन पार्टियों ने भी इसका समर्थन किया है उन्हें इसपर स्पष्ट करना चाहिए कि बांग्लादेशी घुसपैठिए पर उनका क्या स्टैंड है?
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उन्होंने कहा कि भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए भी इसका विरोध किया था और आज भी कर रही है। अमित शाह ने कहा कि शरणार्थी और घुसपैठिए के बीच अंतर होता है। उन्होंने कहा कि कोई अगर अपने धर्म और जाति को बचाने के लिए दूसरे देश में आता है वह शरणार्थी होता है और सिर्फ रोजगार के चलते अवैध तरीके से दूसरे देश में आने वालों को घुसपैठिया कहते हैं। शाह ने साफ तौर पर कहा कि भाजपा का रुख पूरी तरह से साफ है कि इन घुसपैठियों को वापस जाना ही होगा।