Friday, April 19, 2024

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जम्मू कश्मीर में शांति बहाली के लिए जेटली ने सुझाए उपाय, कहा- फिदायीन के साथ सत्याग्रह से नहीं होगी बात

अंग्वाल न्यूज डेस्क
जम्मू कश्मीर में शांति बहाली के लिए जेटली ने सुझाए उपाय, कहा- फिदायीन के साथ सत्याग्रह से नहीं होगी बात

नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आतंकियों से निपटने के उपाय बताए हैं। जेटली ने कहा कि आम लोगों के हितों की रक्षा के लिए आतंकियों से सख्ती के साथ निपटने की जरूरत है। जेटली ने सवाल उठाते हुए कहा कि मरने और मारने को तैयार फिदायीन के साथ क्या ‘सत्याग्रह’ के रास्ते से निपटना जाएगा। उन्होंने आग कहा कि ‘‘एक आतंकी जो आत्मसमर्पण करने से इंकार करता है और संघर्षविराम के प्रस्ताव से भी इनकार करता है उसके साथ उसी तरह से निपटा जाना चाहिए जिस तरह कानून को अपने हाथों में लेने वाले किसी भी व्यक्ति से निपटा जाता है। यह बल प्रयोग की बात नहीं है, यह कानून के शासन की बात है।’’ 

गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर की स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए अरुण जेटली ने कहा कि हर किसी को इस बात की चिंता है कि कौन इस देश को एकजुट रख सकता है। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि भारत का एकमात्र लक्ष्य एक चुनी हुई सरकार, जनता के साथ संवाद, एक कश्मीरी के प्रति इंसानियत भरा रूख है, हालांकि इससे कुछ लोग असहमति जता सकते हैं। 

जेटली ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘‘कभी-कभी हम उन मुहावरों में फंस जाते हैं जो हमने ही गढ़े हैं। ऐसा ही एक मुहावरा है ‘‘कश्मीर में बल प्रयोग की नीति’’। एक हत्यारे से निपटना भी कानून-व्यवस्था का मुद्दा है। इसके लिए राजनीतिक समाधान का इंतजार नहीं किया जा सकता।’’ 

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उन्होंने सवाल उठाया, ‘‘एक फिदायीन मरने को तैयार रहता है। वह मारने को भी तैयार रहता है। तो क्या उन्हें सत्याग्रह का प्रस्ताव देकर निपटा जा सकता है ? जब वह हत्या करने जा रहा हो तो क्या सुरक्षा बलों को उससे यह कहना चाहिए कि वह मेज तक आए और उनके साथ बात करे?’’ 

उन्होंने कहा कि कश्मीर में जिस नीति का पालन किया जाना चाहिए वह घाटी के आम नागरिकों की रक्षा करना, उन्हें आतंक से मुक्त करना, उन्हें बेहतर गुणवत्ता का जीवन और पर्यावरण देना होना चाहिए। 

जेटली ने कहा, ‘‘भारत की संप्रभुता और नागरिकों के जीवन जीने के अधिकार की रक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। ’’ जेटली ने लिखा, ‘‘हमारी नीति होनी चाहिए ‘‘हर भारतीय, चाहे वह आदिवासी हो या फिर कश्मीरी, उनके मानवाधिकारों की आतंकियों से रक्षा की जाए।’’  

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