नई दिल्ली । भले ही देश में नोटबंदी के बाद डिजिटल भुगतान के लिए सरकार ने कई अभियान चलाए थे लेकिन कई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि भारत की जनता अभी भी नकद भुगतान पर ज्यादा निर्भर है । यही कारण है कि बड़ी संख्या में अभी भी जनता ATM से नकदी निकाल रहे हैं । हालांकि यह स्थिति ऐसे समय में आ रही है जब दिनों दिन देश में एटीएम सेंटर कम होते जा रहे हैं। ऐसे में आने वाले समय में फिर से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है , जब कम होते एटीएम से नकद निकालना आफत भरा काम हो जाएगा और नकद भुगतान करने वालों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा । इतना ही नहीं कॉन्फिडेरेशनल ऑफ एटीएम इंडस्ट्रीज (CATMi) ने पिछले साल चेतावनी दी थी कि साल 2019 में भारत के आधे से ज्यादा एटीएम बंद हो जाएंगे।
बता दें कि हाल में जारी हुई ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट ने सामने आया है कि RBI ने एटीएम मशीनों को लेकर कुछ सख्त नियम बनाएं हैं, जिन्हें पूरा करने में बैंकों को बड़ी रकम खर्च करनी पड़ रही है । एटीएम को संचालित करने में आने वाले खर्च में वृद्धि के चलते बैंकों ने भी अपने एटीएम सेंटरों की संख्या में कटौती कर दी है ।
देश में ATM सेंटरों में दिनों दिन होती कटौती के दौर में लोगों ने डिजिटल भुगतान को पूरी तरह न अपनाते हुए अभी भी नकद भुगतान को तरजीह दी हुई है । अब आने वाले समय में जहां एक तरफ एटीएम सेंटर बंद हो रहे हैं वहीं लोगों का एटीएम से नकद निकालकर नकद भुगतान करने का क्रम बदस्तूर जारी है ।
अगर आंकड़ों की बात करें तो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकड़े बताते हैं कि ब्रिक्स देशों में भारत ऐसा देश है जहां प्रति 1 लाख लोगों पर कुछ ही ATM हैं । वहीं कॉन्फिडेरेशनल ऑफ एटीएम इंडस्ट्रीज ने पिछले साल चेतावनी देते हुए बताया था कि देश में करीब 2 लाख 38 हजार एटीएम हैं, जिनमें से करीब 1 लाख 13 हजार एटीएम मार्च 2019 तक बंद होने थे ।
वहीं एटीएम सेंटरों के बंद होने की खबरों के बीच RBI के डिप्टी गवर्नर आर. गांधी ने बताया कि एटीएम ऑपरेटर उन बैंकों से इंटरचेंज फीस वसूलते हैं, जिनका कार्ड इस्तेमाल किया जाता है । इस फीस का इजाफा न होने के चलते एटीएम की संख्या में कमी आ रही है ।
बहरहाल, आने वाले दिनों में एटीएम सेंटरों के बंद होने के क्रम में वृद्धि का असर लोगों पर सीधा पड़ेगा । खासकर उन लोगों पर जो आज भी बड़ी संख्या में चीजों का भुगतान नकद करते हैं।