नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस अब सड़कों पर भीख मांगने वालों को गिरफ्तार नहीं कर सकती है। दिल्ली हाईकोर्ट ने भिक्षावृत्ति को अपराध बनाने वाले कानून बांबे भिक्षावृत्ति रोकथाम अधिनियम 1959 को राजधानी के संदर्भ में असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया है। पहले पुलिस भिखारियों को इसी अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया करती थी। कोर्ट ने जबरन भिक्षावृत्ति कराने पर कार्रवाई दिल्ली सरकार को कानून बनाने की छूट दी है।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायामूर्ति गीता मित्तल और न्यायामूर्ति सी. हरिशंकर की खंडपीठ ने कहा कि दिल्ली में भिक्षावृत्ति को अपराध मानना और पुलिस द्वारा उन्हें गिरफ्तार करना असंवैधानिक है ऐसे में इस अधिनियम को खारिज किया जाता है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि इससे अलग मुद्दों से संबंधित प्रावधानों को खारिज करने की जरूरत नहीं है, यह पहले की तरह ही प्रभावी रहेंगे।
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यहां बता दें कि हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि जिस देश में सरकार लोगों को रोजगार नहीं दे पा रही है वहां भिक्षावृत्ति को अपराध कैसे माना जा सकता है। गौर करने वाली बात है कि सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदार और कर्णिका साहनी ने जनहित याचिका दायर कर दिल्ली में भिखारियों को मूलभूत सुविधाएं देने और भिक्षावृत्ति को अपराध के दायरे से बाहर लाने की मांग की थी।