पटना । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पार्टी की कमान संभालने के बाद जहां उन्हें एक बार फिर हिमाचल और गुजरात विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है, वहीं एक बार फिर उनके सामने बढ़ती बिहार की राजनीतिक सरगर्मी परेशानी लेकर खड़ी हो गई है। असल में आने वाले समय में बिहार की 6 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं। भले ही लोकसभा चुनावों में अभी कुछ समय हो, लेकिन उससे पहले राहुल गांधी को बिहार के मौजूदा राजनीतिक समीकरण में इन सीटों को लेकर मशक्कत करते देखा जा रहा है। नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होने के बाद बदली हुई परिस्थितियों में होने वाले राज्यसभा चुनाव में महागठबंधन को क्रॉस वोटिंग की आशंका डरा रही है। इसकी वजह है कांग्रेस की अंतर्कलह। अगर क्रॉस वोटिंग हुई तो कांग्रेस को नुकसान होगा।
अशोक चौधरी को हटाने से असंतोष
बता दें कि कुछ समय पहले ही कांग्रेस नेतृत्व ने जिस अंदाज में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अशोक चौधरी को उनके पद से हटाया है, उसके चलते पार्टी के भीतर काफी असंतोष है। कहा ये भी जा रहा है कि इस समय कांग्रेस के करीब 1 दर्जन विधायक डॉ. चौधरी के साथ खड़े हैं। ये पार्टी के रुख से नाराज हैं और इन पर भाजपा-एनडीए ने अपनी नजर गढ़ाई हुई है। सूत्रों का कहना है कि अशोक चौधरी के नेतृत्व वाले इन्हीं बागी विधायकों के साथ जोड़तोड़ की सियासत चल रही है।
1 सीट के लिए 35 विधायक जरूरी
सियासी समीकरणों की बात करें तो राज्यसभा की 1 सीट के लिए किसी भी दल को कम से कम 35 विधायकों की जरूरत होगी। वर्तमान में बिहार विधानसभा में राजद के पास 79 विधायक हैं, तो जदयू के पास 71 विधायक हैं। भाजपा तीसरे नंबर पर है, जिसके पास 52 विधायक और कांग्रेस के पास 27 विधायक हैं। इन प्रमुख दलों के अलावा लोजपा और रालोसपा के पास दो-दो, भाकपा माले के पास तीन, हम के पास एक विधायक है। चार निर्दलीय विधायक भी हैं।
कांग्रेस एकजुट नहीं रही तो नुकसान
बता दें कि इस समय बिहार के महागठबंधन में सिर्फ कांग्रेस और राजद ही बचे हैं। दोनों के गठबंधन को मिलाने पर कुल विधायकों की संख्या 106 हो जाती है। महागठबंधन को राज्यसभा की तीन सीटों को जीतने के लिए एक सौ पांच वोट की ही जरूरत है। लेकिन, इसके लिए जरूरी है कि कांग्रेस विधायक दल एकजुट रहे।
एनडीए है मजबूत
वहीं अगर बात एनडीए की करें तो जदयू, भाजपा, लोजपा, रालोसपा और हम के विधायकों को मिलाकर एनडीए की ताकत 128 सीटों की है। एनडीए राज्यसभा की 4 सीटें जीतने में तभी कामयाब हो पाएगा जब उसे 140 विधायकों का समर्थन मिलेगा। यानी चार सीटों के लिए उसे एक दर्जन विधायकों का समर्थन बाहर से जुटाना होगा।