Thursday, April 18, 2024

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भारत अब ज्यादा आक्रामक और लड़ाकू प्रवृति का हो गया - चीन

अंग्वाल न्यूज डेस्क
भारत अब ज्यादा आक्रामक और लड़ाकू प्रवृति का हो गया - चीन

नई दिल्ली । डोकलाम सीमा विवाद के मुद्दे पर पिछले करीब तीन माह के दौरान भारत और चीन के बीच जो संवाद अदायगी हुई, उसमें कहीं न कहीं भारत की मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति को उजागर कर दिया। चीन इस विवाद में भारत को डोकलाम से अपनी सेना हटाने के लिए धमकियों के साथ चेतावनी देता रहा। चीन ने भारत को 62 के युद्ध की याद भी दिलाई लेकिन भारत ने पलटवार करते हुए कहा, चीन गलतफहमी में न रहे, अब 62 नहीं 2017 है। भारत के इस रुख के मद्देनजर अब चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने भारत को आक्रामक और लड़ाकू प्रवृत्ति के साथ सामने आने वाला करार दिया है। 

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ग्लोबल टाइम्स ने हाल में अपने एक लेख में लिखा है- ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत और चीन के बीच तनाव की उपेक्षा नहीं की जा सकती। दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले इन दो देशों के बीच संबंधों में उठापटक का खास महत्व है। दोनों देश कई मोर्चे पर समान हैं। दोनों ही देश अपने लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए लगातार प्रयत्न कर रहे हैं। इतना ही नहीं दोनों देश दुनिया में अपनी अहम भूमिका अदा करने की तमन्ना रखते हैं। 

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इसी क्रम में अखबार ने लिखा कि पिछले कुछ समय में भारत ने अपने रुख में काफी बदलाव किया है। हाल के दिनों में चीन को लेकर भारत का रुख काफी बदला नजर आया है। भारत अब एक आक्रामक और लड़ाकू प्रवृत्ति के देश के रूप में दुनिया के सामने आया है। अगस्त महीने में भारत ने 90 से ज्यादा चीनी उत्पादों के खिलाफ एंटी-डंपिंग जांच शुरू की है। इससे साबित होता है कि चीन को लेकर भारत का व्यवहार दोस्त से अलग है। हाल ही में जब मोदी ने अमरीका दौरा किया तो उन्होंने चीन के खिलाफ गोलबंदी को तेज किया। 


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अखबार में रेनमिन यूनिवर्सिटी ऑफ चाइना में चोंगयांग इंस्टिट्यूट फोर फाइलनैंसियल स्टडीज के सीनियर रिसर्चर ल्यू झिकिन का कहना है कि हाल के माहौल में भारत का चीन के साथ उलझने के कुछ कारण रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन की समृद्धि और विकास से भारत जलने लगा है। यह प्रवृत्ति चीन के ख़िलाफ़ पश्चिमी देशों के पूर्वाग्रह और घमंड से अलग है। वहीं भारत विकसित देश अमरीका और जापान को देखता है, जबकि अपनी कमजोर अर्थव्यवस्था के लिए चीन को कोसता है।

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यही कारण है कि वह चीन के साथ विवादों को जन्म देता है, ताकि धरेलू राजनीतिक दबाव को कम किया जा सके। वह अमेरिका से मदद की आस रखता है लेकिन भारत को समझना चाहिए की इससे नुकसान भी भारत को ही होगा। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि भारत को ऐसा लगता है कि चीन के पास उसे रोकने के लिए क्षमता नहीं है और उसे बहुत कम नुकसान होगा, लेकिन भारत को समझना होगा कि उसकी प्रगति से हमें ही फायदा होगा।

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