नई दिल्ली। कर्नाटक की राजनीति में हर पल नया बदलाव हो रहा है। भाजपा के डर से कांग्रेस और जेडीएस ने अपने-अपने विधायकों को बस में भरकर एक बार फिर से होटल से निकालकर हैदराबाद लेकर चली गई है। कांग्रेस और जेडीएस को इस बात की आशंका है कि भाजपा उनके विधायकों को तोड़कर अपने साथ मिला सकती है। यहां बता दें कि गुरुवार को भाजपा के बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं और 15 दिनों के अंदर उन्हें विधानसभा पटल पर अपना बहुमत साबित करना है। येदियुरप्पा के शपथग्रहण के विरोध में कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों ने विधानसभा के बाहर धरना प्रदर्शन किया था।
गौरतलब है कि भाजपा के पास 104 विधायक हैं जबकि बहुमत के आंकड़े के लिए 112 विधायकों का होना जरूरी है। वहीं कांग्रेस के 78 और जेडीएस के 37 विधायकों को मिलाकर 115 होते हैं। राज्यपाल द्वारा येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए दिए गए समय में भाजपा कांग्रेस और जेडीएस के नाराज विधायकों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर सकती है। ऐसे में दोनांे पार्टियों ने अपने विधायकों को पहले बंगलुरु के ईगलटन रिजाॅर्ट में रखा, भाजपा नेता के वहां भी पहुंच जाने के बाद अब उन्हें एक बार फिर से रातों-रात बस में बिठाकर हैदराबाद भेज दिया गया है।
ये भी पढ़ें - संघर्षविराम का पाकिस्तान पर कोई असर नहीं, आरएसपुरा और अरनियां में गोलीबारी जारी, बीएसएफ का 1 ...
यहां बता दें कि कर्नाटक मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को दोबारा से सुनवाई होगी। कोर्ट ने भाजपा से उनके समर्थक विधायकों की सूची मांगी है। गौर करने वाली बात है कि राज्यपाल द्वारा भाजपा को सरकार बनाने का निमंत्रण देने के बाद कांग्रेस और जेडीएस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी। आधी रात से सुबह तक चली सुनवाई के बाद 3 जजों की बेंच ने येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। येदियुरप्पा सरकार का भविष्य शुक्रवार को कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा।
- जादुई संख्या हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने एंग्लो इंडियन समुदाय से एक सदस्य का मनोनयन करने का फैसला किया, जिसके खिलाफ कांग्रेस-जदएस सुप्रीम कोर्ट चले गए।
- आनंद सिंह समेत कांग्रेस के तीन विधायकों का अता-पता नहीं है। जबकि रिजॉर्ट में रह रहे उसके एक विधायक की तबियत खराब होने के कारण उन्हें अस्पताल पहुंचाना पड़ा। जदएस के भी दो विधायक गायब हैं। इन सभी पर भाजपा की नजर रहेगी।
- इसके अलावा भाजपा की रणनीति कांग्रेस और जदएस के लिंगायत विधायकों को विश्वास मत हासिल करने के दिन सदन की कार्यवाही से दूर रहने के लिए मना लिया जाए। इससे बहुमत का आंकड़ा घट जाएगा।