नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के लिए साल 2019 का चुनाव लड़ना मुश्किलों भरा साबित हो सकता है। राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी इन दिनों नकदी संकट से जूझ रही है। इस वजह से पार्टी ने फिलहाल राज्यों को भेजे जाने वाले फंड पर रोक लगा दी है। अब पार्टी के सदस्यों को ज्यादा से ज्यादा चंदा जुटाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही पार्टी के पास 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए क्राउड फंडिंग का सहारा लेने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा है।
गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी ने अपने खर्चों में कटौती करने के लिए पिछले 5 महीनों से देश के विभिन्न राज्यों में भेजे जाने वाले फंड पर रोक लगा रखी है और उस फंड का उपयोग पार्टी के अंदर होने वाले रोजाना के खर्चों को पूरा करने में किया जा रहा है। अब पार्टी ने अपने सभी सदस्यों से कहा है कि वो खर्चों में कटौती करें और सदस्यों से ज्यादा से ज्यादा दान लें ताकि पार्टी फंड में इजाफा किया जा सके।
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बता दें कि बड़ी कंपनियां और उनके मालिक सभी पार्टियों को अपनी तरफ से चंदा के तौर पर पैसा देते थे लेकिन केंद्र और देश के 20 राज्यों में भाजपा और उसके सहयोगी दलों की सरकार बनने के बाद कांग्रेस को कंपनियों की तरफ से मिलने वाला चंदा आना बंद हो गया है। कांग्रेस की सोशल मीडिया की प्रमुख ने बताया कि उनके पास पैसा नहीं है ऐसे में उन्हें अब सोशल मीडिया और क्राउड फंडिंग के जरिए ही पैसे जुटाने होंगे। यहां बता दें कि बड़ी कंपनियों ने भी अब कांग्रेस की फडिंग करने से इंकार कर दिया है। ऐसे में अब उन्हें क्राउड फंडिंग का ही सहारा बचा है।
भाजपा के पास चार राज्यों में विधानसभा चुनाव और 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए वित्तीय तौर पर काफी एडवॉन्टेज है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि नोटबंदी के साल में भारतीय जनता पार्टी ने 1034 करोड़ रुपये और कांग्रेस ने 225 करोड़ रुपये कमाए थे। रिपोर्ट में यह भी कहा कि दोनों प्रमुख पार्टियों ने इस दौरान विज्ञापनों पर भी काफी खर्च किया था।