नई दिल्ली। दिल्ली में सरकार और एलजी के बीच शुरू हुई रार थमने का नाम नहीं ले रही है। अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले के मामले को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा कि संविधान पीठ के आदेश के बाद भी यहां का काम पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है। इस मामले को लेकर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था। बता दें कि पिछले कुछ समय से दिल्ली सरकार और एलजी अनिल बैजल के बीच तनातनी चल रही है।
गौरतलब है कि सरकार ने न्यायालय से कहा, संविधान पीठ के फैसले के बावजूद वह अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति के आदेश नहीं दे पा रही है। दिल्ली में सेवाओं को नियंत्रित करने सहित अधिसूचनाओं से जुड़े मामलों पर अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी। दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले के बाद भी सरकार अधिकारियों को लेकर कोई भी निर्णय नहीं ले पा रही है। इन मुद्दों को जल्दी सुलझाने की जरूरत है।
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दिल्ली सरकार की ओर से ही पेश हुई वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि अधिकारी इस संबंध में हलफनामा दायर करने के इच्छुक नहीं थे, इसलिए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने हलफनामा दायर किया है। जयसिंह ने कहा, मैं सिर्फ मामला स्पष्ट करना चाहती थी। गौरतलब है कि 4 जुलाई को दिल्ली सरकार बनाम एलजी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना अहम फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि चुनी हुई सरकार लोकतंत्र में अहम है, इसलिए मंत्री-परिषद के पास फैसले लेने का अधिकार है। पीठ ने यह भी कहा कि एलजी के पास कोई स्वतंत्र अधिकार नहीं है। संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला दिया कि हर मामले में एलजी की सहमति जरूरी नहीं लेकिन कैबिनेट को फैसलों की जानकारी देनी होगी।