नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) एक बार फिर विवादों में आया है। इस बार एम्स प्रशासन द्वारा एक छात्र को एमबीबीएस परीक्षा में न बैठने देना महंगा साबित हुआ। दिल्ली हाईकोर्ट ने एम्स पर 50,000 का हर्जाना लगाया है। असल में प्रशासन ने AIIMS MBBS 2018 की परीक्षा के दौरान एक प्रवेशार्थी को केवल इस कारण से परीक्षा में नहीं बैठने दिया क्योंकि उसका आधार कार्ड स्कैन नहीं हो पाया था। इस पर अदालत ने एम्स को फटकार लगाते हुए कहा कि इस तरह की घटना दोबारा नहीं होनी चाहिए। इतना ही नहीं कोर्ट ने एम्स से कहा कि वह छात्र को 50,000 रुपये बतौर हर्जाना दे।
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अदालत ने कहा, छात्र को परीक्षा से रोके जाने का कारण आधारहीन है। एम्स के परीक्षा नियंत्रक ने अनावश्यक रुप से उसे परीक्षा से रोककर बहुत सख्त रवैया अपनाया। प्रवेश परीक्षा केंद्र से किसी विद्यार्थी को लौटा देना उस के भविष्य के साथ हुआ बड़ा नुकसान है। इससे हर हाल में बचा जाना चाहिए।
हालांकि अदालत ने दोबारा परीक्षा करवाने का आदेश इसलिए नहीं दिया क्योंकि ऐसे में अन्य विद्यार्थियों को परेशानी होगी। एक बार परीक्षा देने के बाद दोबारा परीक्षा करवाना उचित नहीं होगा।
गौरतलब है कि यह परीक्षा 26-27 मई 2018 को हुई थी जिसमे 2 लाख से भी अधिक प्रवेशार्थियों ने भाग लिया था। इस परीक्षा का परिणाम 18 जून को घोषित किया जाएगा।