रांची । राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले के तहत देवघर कोषागार से अवैध निकासी में मामले में साढ़े तीन साल की सजा सुनाने वाले सीबीआई की विशेष अदालत के जज शिवपाल सिंह ने पिछले दिनों खुलासा किया था कि लालू को बरी किए जाने के संबंध में कुछ लोगों ने उनसे सिफारिश की थी। अब सामने आया है कि लालू के लिए रहम की गुहार लगाने वालों में यूपी के जालौन जिले के डीएम भी शामिल थे। इसके साथ ही जिले के कई आला अधिकारियों ने भी उन्हें फोन कर लालू को बरी करने की सिफारिश की थी। हालांकि ये वही डीएम साहब हैं जो कुछ समय पहले न्यायधीश शिवपाल सिंह की जमीन पर हुए कब्जे को हटाने के लिए कार्रवाई किए जाने के मद्देनजर जज को काफी तरसा चुके हैं। इतना ही नहीं इन डीएम साहब ने तो कुछ समय पूर्व न्याय मांगने पर जज शिवपाल सिंह को ही कानून का ज्ञान हासिल करने की नसीहत देने डाली थी।
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जज की जमीन पर हो चुका है कब्जा
बता दें कि रांची में सीबीआइ की विशेष अदालत के जज शिवपाल सिंह मूल रूप से यूपी के जालौन जिले के शेखपुर खुर्द गांव के निवासी हैं। कुछ समय पहले गांव में कुछ लोगों ने उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया। जब जज के परिवार की ओर से विरोध दर् करवाया गया तो उल्टा उनके भाई सुरेंद्र पाल सिंह के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज करा दिया गया। इतना ही नहीं दबंग लोगों ने जज शिवपाल सिंह की जमीन पर खेती करवाना शुरू कर दिया और जबरन जमीन से चक रोड निकाल दी।
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जालौन के डीएम से मांगी थी मदद
ऐसी स्थिति आने पर जज शिवपाल सिंह ने खुद इलाके के जिलाधिकारी से मदद मांगी थी लेकिन इस कब्जे को लेकर उनकी ओर से कोई मदद नहीं मिली। 6 नवंबर, 2015 को वहां के तत्कालीन एसडीएम ने जमीन को मुक्त कराने का निर्देश दिया था, जिसके बाद बीडीओ और ग्राम प्रधान की उपस्थिति में पत्थर लगवाए गए, लेकिन दबंगों ने उसे भी उखाड़ फेंका। इसके बावजूद एसडीएम, तहसीलदार, सीओ और कोतवाल ने कोई कार्रवाई नहीं की तो जज शिवपाल सिंह ने डीएम से मदद मांगी, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिला। इसके बाद 12 दिसंबर, 2017 को डीएम और एसपी से शिकायत की तो डीएम ने कहा कि आप झारखंड में जज हैं न, आप कानून पढ़कर आएं। उन्होंने यह भी कहा कि वे एसडीएम के आदेश को नहीं मानेंगे।
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लालू की इन अधिकारियों ने की सिफारिश
सूत्रों के अनुसार, अब जब लालू चारा घोटाले में घिरे तो उन्हें बचाने के लिए जालौन के डीएम व एसडीएम ने सिफारिश की। जज को फोन करने वाले डीएम का नाम डॉ. मन्नान अख्तर है। एसडीएम भैरपाल सिंह ने भी सिफारिश के लिए संपर्क साधा। हालांकि जज ने किसी की सिफारिश या दबाव पर ध्यान नहीं दिया।
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डीएम ने खारिज किए आरोप
वहीं इस पूरे मामले में डीएम, जालौन डॉ. मन्नान अख्तर का कहना है कि दोनों मामलों में उन्होंने किसी तरह की सिफारिश नहीं की है। उन्होंने कहा कि किसी भी वरिष्ठ और न्यायायिक अधिकारी से मैं इस तरह की सिफारिश क्यों करूंगा। वहीं एसडीएम, जालौन भैरपाल सिंह का कहना है कि दीपावली से पहले जब वह अपने घर आए थे तभी मुलाकात और बात हुई थी। उनसे केवल खेत के संबंध में ही बात की गई। इसके अलावा कोई और बात नहीं हुई है।