नई दिल्ली । देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने और दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने में सेनाओं को सशक्त बनाने की दिशा में भारत ने एक और अहम उपलब्धि हासिल कर ली। भारत सरकार के संगठन रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन यानी डीआरडीओ ने गाइडेड बम बनाने में सफलता हासिल की है। ओडिशा के चांदीपुर में इसका सफल परीक्षण किया गया। परीक्षण के दौरान लगभग 70 किलोमीटर दूर लक्ष्य पर इससे अचूक निशाना लगा। 'स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन' यानी सॉ के नाम से जाने जाने वाले इस अचूक गाइडेड बम के सफल परीक्षण पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने सेना और डीआरडीओ के अधिकारियों को बधाई दी।
इस हथियार को जल्द ही सेना को सौंप दिया जाएगा। इस हथियार के मिलने से सेना की मारक क्षमता बहुत बढ़ जाएगी। इस हथियार के विकास से जुड़े लोगों का कहना है कि लक्ष्य को भेदने में इस हथियार का कोई जोड़ नहीं है। इनका कहना है कि अभी यह हथियार परीक्षण के दौर में है। अभी इसमें और सुधार किया जाएगा उसके बाद ही इसे सेना को सौंपा जाएगा। इस गाइडेड बम को तैयार करने में डीआरडीओ के साथ ही वायु सेना ने भी अहम योगदान किया।
वायु सेना और डीआरडीओ के अधिकारियों का कहना है कि इसको लेकर किए गए तीनों परीक्षण पूरी तरह सफल रहे। पहला परीक्षण 23मई और दूसरा परीक्षण 24 दिसबंर 2016 को किया गया। जगुआर और सुखोई -30 एमकेआई विमानों से इसका परीक्षण किया गया। अब इसको राफेल लड़ाकू विमानों से दागने के संबंध में शोध हो रहा है। आपको बता दें कि भारत के पास अभी सुदर्शन नामक लेजर गाइडेड बम है। इसे भी डीआरडीओ की एरोनॉटिकल डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट लैब ने तैयार किया था।