नई दिल्ली । 16वीं सदी में फ्रांस के भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ने संकेत दिए थे कि 2018 में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कई बड़े भूकंप आएंगे। अब 400 साल बाद उनकी इन भविष्यवाणियों पर दुनिया के कई दिग्गज वैज्ञानिकों ने मुहर लगाई है। यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो के रोजर बिल्हम और यूनिवर्सिटी ऑफ मोंटाना की रेबेका बेंडिक ने भूकंप के बारे में अध्ययन करने के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2018 और उसके बाद दुनिया के कई हिस्सों में बड़े भूकंप आ सकते हैं। इन वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा इसलिए होगा क्योंकि पृथ्वी के घूमने की रफ्तार कम होती जा रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी के घूमने की रफ्तार और दुनियाभर में भूकंप संबंधी चीजों में सीधा संबंध होता है।
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रिसर्च की जानकारी जियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ अमेरिका को दी गई है। यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो के रोजर बिल्हम और यूनिवर्सिटी ऑफ मोंटाना की रेबेका बेंडिक ने कहा- पृथ्वी के घूमने की रफ्तार में फर्क आ रहा है। यह हर दिन कुछ मिलि-सेकंड्स कम हो रही है। लेकिन, यही मिनट्स अंडरग्राउंड एनर्जी को बाहर आने में बड़ी मदद कर सकते हैं। रेबेका और रोजर ने कहा- पिछली सदी में पांच बार ऐसा हुआ जब 7 मैग्नीट्यूड के भूकंप आए। हर बार इन भूकंप का संबंध पृथ्वी की घूमने की रफ्तार से जुड़ा पाया गया। हालांकि, कई बार छोटे दिन होने पर इनमें कमी भी देखी गई।
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वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन के बाद कहा कि पृथ्वी के किनारों में होने वाले छोटे बदलाव भी भूकंप से जुड़े हो सकते हैं। मैकेनिज्म चाहे जो भी हो लेकिन भूकंप से जुड़े खतरों के लिए पांच या छह साल पहले एडवांस वॉर्निंग दी जा सकती है और दिन की लंबाई इस बारे में अहम भूमिका निभा सकता है। इसके जरिए डिजास्टर प्लानिंग की जा सकती है।