नई दिल्ली । लोकसभा चुनावों की मतगणना के दौरान रमजान आने को लेकर उठे विवादों के बीच चुनाव आयोग ने भी अपनी ओर से बयान जारी किया है। कुछ मुस्लिम धर्मगुरू और कुछ सियासी पार्टियों के नेताओं द्वारा इस मुद्दे पर बयान देने के बाद अब चुनाव आयोग ने कहा है कि रमजान पूरे महीने चलता है, ऐसे में चुनाव नहीं टाले जा सकते थे । हालांकि, आयोग ने ये कहा कि तारीख तय करते वक्त मुख्य पर्व और जुमे का ध्यान रखा गया है। इस सब के बीच भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल में चुनाव को लेकर चुनाव आयोग से मुलाकात करेगी। भाजपा की मांग है कि पश्चिम बंगाल में केंद्रीय फोर्स के मौजूदगी में चुनाव होने चाहिए, उन्हें पश्चिम बंगाल पुलिस पर भरोसा नहीं है।
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बता दें कि चुनाव आयोग ने रविवार को देश में 17वीं लोकसभा के लिए होने वाले चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है। इस दौरान मई में रमजान के दौरान वोटिंग होने पर ईदगाह इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने नाराजगी जताई है। रमजान के बीच लोकसभा चुनाव होने पर उन्होंने चुनाव आयोग से मुसलमानों की भावना का खयाल रखने और चुनाव तिथि रमजान माह से पहले या बाद में करने की मांग की है। मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा, 5 मई को मुसलमानों के सबसे पवित्र महीना रमजान का चांद देखा जाएगा। चांद दिख जाता है तो 6 मई को पहला रोजा होगा। रोजे के दौरान देश में 6 मई, 12 मई व 19 मई को मतदान की घोषणा की गई है। इससे करोड़ों रोजेदारों को परेशानी होगी। उन्होंने चुनाव आयोग से 6, 12 व 19 मई को होने वाले मतदान की तिथि बदलने पर विचार करने की मांग की है।
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उनके इस बयान के बाद पश्चिम बंगाल की तेलगुदेशम पार्टी , नेशनल कॉंफ्रेंस के अलावा कई अन्य सियासी दलों ने विरोध दर्ज करवाया है। इन दलों के नेताओं का कहना है कि रमजान के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग धूप में कैसे मतदान के लिए जाएंगे। हालांकि देश के कई मुस्लिम नेताओं ने ही इन नेताओं पर पलटवार करते हुए कहा कि जब मुस्लिम रमजान के दौरान अपने अन्य सभी काम करते हैं तो उन्हें रमजान के दौरान मतदान करने में भी कोई समस्या नहीं है।
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इस सब के बीच चुनाव आयोग का बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने कहा -क्योंकि रमजान पूरे महीने चलता है ऐसे में चुनाव पूरे महीने के लिए नहीं टाले जा सकते थे। हालांकि हमने शुक्रवार का ध्यान रखा है।