नई दिल्ली । फ्रांस से हुई राफेल विमान डील को लेकर पिछले दिनों विपक्ष ने मोदी सरकार पर जमकर हल्ला बोला। सरकार पर सवाल उठाए गए कि आखिर सरकार ने यह डील किस रेट पर की, इसके बारे में खुलासा करने से क्यों बच रही है। इस सब के बीच राफेल डील पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा है कि यदि भारत इस मुद्दे पर विपक्ष के साथ किसी तरह की बहस के लिए डील की कुछ बारीकियों से पर्दा उठाना चाहता है तो फ्रांस सरकार विरोध नहीं करेगी। हाल में एक मीडिया रिपोर्ट में मैक्रों ने कहा कि इस डील में इकोनॉमिक, इंडस्ट्रियल और स्ट्रैटेजिक हितों का पूरा ध्यान रखा गया है। मैक्रों ने कहा, वैसे तो यह डील मेरे कार्यकाल में नहीं हुई लेकिन इस डील से दोनों देशों को फायदा हुआ है।
बता दें कि मोदी सरकार द्वारा फ्रांस के साथ किए गए 36 राफेल लड़ाकू विमानों की डील पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस भारत और फ्रांस के बीच हुई डील में घोटाले का आरोप लगा रही है, लेकिन रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि इस डील में एक विमान की लागत 9.1 करोड़ यूरो है। उनका कहना है कि यूपीए शासन में 126 मीडियम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के लिए जो डील हुई थी, उसके मुकाबले मौजूदा डील में एक विमान पर लागत करीब एक करोड़ यूरो कम पड़ रही है। यूपीए शासन में हुई डील को बाद में रद्द कर दिया गया था।
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अब मोदी सरकार ने जब लड़ाकू विमानों की डील की है तो कांग्रेस समेत विपक्ष सरकार पर सवाल उठा रहे हैं। इस सब के बीच दोनों देशों के बीच हुई डील पर भारत सरकार की ओर से बरती जा रही गोपनियता पर मैक्रों ने कहा कि दोनों देशों के बीच जब किसी मामले पर बेहद सेंसिटिव बिजनेस इंटरेस्ट शामिल रहते हैं तो खुलासे करना उचित नहीं रहता। उन्होंने कहा कि इस डील में कॉमर्शियल एग्रीमेंट के तहत प्रतियोगी कंपनियों को डील की बारीकियों की जानकारी नहीं होनी चाहिए।
मैक्रों ने दावा किया कि यदि भारत में मोदी सरकार इस डील पर उठ रहे विवादों के बीच विपक्ष के साथ संवाद में कुछ बारीकियों पर से पर्दा उठाना चाहती है तो उनकी सरकार को इसमें कोई आपत्ति नहीं होगी। इतना ही नहीं मैक्रों ने कहा यह डील एक अच्छे नेगोसिएशन के माहौल में हुई , जो भारत की सुरक्षा के लिए बेहद अहम है।
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