नई दिल्ली। रुपये की लगातार गिरती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार की तरफ से लगातार कोशिशें की जा रही हैं। इसके लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में कई उपाय बताए गए हैं। बैठक में गैर जरूरी चीजों के आयात को कम करने और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही कुछ अन्य चीजों पर भी रोक लगाने की बात कही गई है।
गौरतलब है कि डाॅलर के मुकाबले रुपये की लगातार गिरती कीमतों के चलते देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में रोज ब रोज इजाफा हो रहा है। बता दें कि तेल के आयात का मूल्य तेल कंपनियों को डाॅलर में चुकाना होता है ऐसे में देश को ज्यादा रुपये देने पड़ रहे हैं। पीएम की अध्यक्षता में देर रात हुई बैठक में वाणिज्यिक नियमों भी बदलाव करने पर विचार करने के निर्देश दिए गए हैं।
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यहां बता दें कि डाॅलर के मुकाबले रुपये का स्तर इतना गिर गया है कि अब वह 72 के पार पहुंच चुका है। रुपये की लगातार गिरती कीमतों को लेकर पूरे देश में राजनीति भी तेज हो गई है। कांग्रेस के द्वारा इसके लिए भारत बंद का भी आयोजन किया गया। अब केंद्र सरकार की ओर से रुपये को बेहतर स्थिति में लाने के लिए प्रधानमंत्री, रिजर्व बैंक के गवर्नर और वित्त मंत्री अरुण जेटली के बीच हुई बैठक में कई तरह के उपायों पर विचार किया गया है।
गौर करने वाली बात है कि प्रधानमंत्री ने यह बैठक अर्थव्यवस्था का जायजा लेने के लिए बुलाई थी। बैठक में वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार मौजूदा वित्तीय घाटे को कम करने के लिए कई बिन्दुओं पर विचार कर रही है। इसके तहत विदेशी वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) से संबंधित नियमों को आसान बनाने से लेकर कॉरपोरेट बांड बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की भागीदारी को बढ़ावा देने के उपाय शामिल हैं। इसके अलावा चालू वित्त वर्ष में जारी किए गए मसाला बांड को विदहोल्डिंग टैक्स से छूट देने का भी निर्णय किया गया है। आपको बता दें कि मसाला बांड का मतलब ऐसे बांड से हैं जिन्हें बाजार से उधार लेने के लिए किसी भारतीय कंपनी ने देश से बाहर रुपये के डिनॉमिनेशन में जारी किया है।