नई दिल्ली । मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही पिछले दिनों जम्मू कश्मीर के हुर्रियत और अलगाववादियों ने सरकार से बातचीत की पेशकश की थी । लेकिन गृहमंत्रालय के सूत्रों की मानें तो गृहमंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया है कि अब घाटी के अलगाववादियों के साथ कोई बातचीत नहीं होगी । सरकार ने अलगाववादियों की शर्ते मानने से भी इनकार कर दिया है । इतना ही नहीं अमित शाह ने साफ कर दिया है कि अभी तक जो होता रहा है, अब वो नहीं होगा । मंत्रालय की ओर से ये संकेत ऐसे समय में आए हैं जब हाल में राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने अलगाववादियों से बातचीत के मुद्दे पर कहा था कि इसपर फैसला दिल्ली से होगा। इसी क्रम में अमित शाह बुधवार को जम्मू कश्मीर का दौरा करने के साथ ही अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेंगे ।
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आपको बता दें कि कि नवनियुक्त गृहमंत्री अमित शाह बुधवार को जम्मू कश्मीर के दौरे पर जाने वाले हैं । वहीं घाटी के अलगाववादी नेताओं की बातचीत की पेशकश के बीच अमित शाह ने साफ कर दिया है कि अभी तक जो होता रहा है अब वो नही होगा । अलगाववादियों से बातचीत संविधान और कानून के दायरे में ही होगी । मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार , अमित शाह ने साफ कर दिया है कि देश से बडा कोई नहीं है । जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी ।
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जानकारी के मुताबिक , केंद्र में मोदी सरकार के प्रचंड बहुमत से दोबारा आने के बाद सरकार के कड़े रुख से घाटी के हुर्रियत नेता घबराए हुए हैं। यही कारण है कि हुर्रियत नेता अब बातचीत के लिए नए रास्तों की तलाश कर रहे हैं । अभी आलम यह है कि कई हुर्रियत और अलगाववादी नेता टेरर फंडिग के मामले में जेल में हैं । इस वजह से हुर्रियत लीडरशिप दवाब में है । जेल में बंद कई नेता हुर्रियत लीडरशिप पर अपना दवाब डाल रहे हैं कि मोदी सरकार से बातचीत की जाए ।
इस सब के बीच अलगाववादियों से बातचीत के मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने पिछले दिनों कहा था कि इसपर फैसला दिल्ली से होगा, लेकिन ये बात हर किसी को समझ लेनी चाहिए कि बंदूक से बात नहीं बनेगी । सत्यपाल मलिक ने कहा, ''हुर्रियत बातचीत के लिए तैयार है, अब उनसे बातचीत होनी चाहिए और पाकिस्तान के साथ भी बातचीत होनी चाहिए।