चंडीगढ़ । डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम पर कसे शिकंजे के बावजूद हरियाणा पुलिस उसके गोरखधंधों के बारे में कोई पुख्ता सबूत नहीं जुटा पाई है। जिस हनीप्रीत को उसका राजदार बताया जा रहा है, पुलिस अब तक उससे कुछ भी नहीं उगलवा पाई है। जबकि पुलिस उसे दो बार रिमांड पर ले चुकी है। हनीप्रीत बड़े ही शातिर तरीके से इस मामले में अपनी हर चाल चल रही है, जिसके आगे हरियाणा पुलिस पस्त नजर आ रही है। हनीप्रीत का मोबाइल और उसका लैपटॉप की बरामदगी के लिए पुलिस उसे बुधवार को राम रहीम के गांव लेकर गई, लेकिन वहां भी कड़ी पड़ताल के बाद पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा है। यहां तक ही उसकी तीन दिन की रिमांड एक बार फिर खत्म होने पर है, लेकिन पुलिस के पास अभी तक हनीप्रीत और रामरहीम के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है।
पुलिस जांच पर सवाल
ऐसे में पुलिस की जांच प्रक्रिया पर ही सवाल उठने लगे हैं। हालांकि इस दौरान जांच में एक बार और सामने आई कि हनीप्रीत की 38 दिन की फरारी में हरियाणा-पंजाब के कई दिग्गज लोगों ने मदद की है, जो डेरा मुख्यालय जाकर अय्याशी किया करते थे। अपना नाम बचाने के लिए इन लोगों ने हनीप्रीत को हर तरह की सुविधाएं मुहैया करवाई हुई थीं और गिरफ्तारी से पहले सभी सबूत मिटाने में मदद भी की है।
कुछ नहीं उगलवा पाई पुलिस
बता दें कि डेरा में कई तरह का गोरखधंधा होता था इस बात में कोई दो राय नहीं है, लेकिन हरियाणा पुलिस इन बातों को पुष्ट करने के लिए सबूत जुटाने में नाकाम साबित हुई है। भारत में ही मौजूद हनीप्रीत को हरियाणा पुलिस देश-विदेश में खोजती रही, लेकिन अब जब वह 38 दिन की फरारी काटने के बाद पुलिस की गिरफ्त में आई है, पुलिस उसे रिमांड पर लेकर कुछ भी नहीं उगलवा पाई है। पुलिस ने तो राम रहीम की अवैध अकूत संपत्ति के बारे में ही कोई ठोस सबूत जुटा पाई है, न ही पंचकुला हिंसा में हनीप्रीत द्वारा साजिश रचे जाने के प्रमाण पुलिस के पास हैं।
राम रहीम के साथ बैठाकर की पूछताछ
हनीप्रीत की तीन दिन की रिमांड पर एक बार फिर बुधवार को पुलिस उसे राम रहीम के गांव लेकर गई, जहां उसके परिजनों के साथ बैठाकर पुलिस ने पूछताछ की, लेकिन कुछ भी सामने नहीं आया। हनीप्रीत के मोबाइल को खोज रही पुलिस अपनी किसी भी हाईटैक तकनीक से उसके मोबाइल को खोज पाने में नाकाम साबित हुई है, वहीं उस लैपटॉप को भी पुलिस अभी तक नहीं ढूंढ पाई है, जिसमें हनीप्रीत ने पंचकुला हिंसा का ब्लू प्रिंट तैयार किया था।
गिरफ्तारी से पहले पवन-आदित्य से संपर्क में थी
वहीं हनीप्रीत के साथ ही गिरफ्तार हुई उसकी सहयोगी सुखदीप ने पूछताछ में बताया है कि गिरफ्तार होने से ठीक पहले हनीप्रीत ने आदित्य इंसा व पवन इंसा से बात की थी। हालांकि जिस समय वह उन दोनों से बात करती थी, उसे कार से बाहर कर दिया जाता था। इतना ही नहीं हनीप्रीत डेरा के प्रवक्ताओं के संपर्क में भी रहती थी। सुखदीप के बयानों से यह बात साफ हो गई है कि हनीप्रीत ने पूरी साजिश रचने के बाद ही सुनियोजित ढंग से अपनी गिरफ्तारी का नाटक रचा।