नई दिल्ली । भारतीय नौसेना और मेक इन इंडिया अभियान के तहत मजबूती प्रदान की गई है। नौसेना को उसकी पहली स्कार्पीन क्लास की सबमरीन कलवरी मिल गई है। मझगांव डॉक शिपब्युल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) ने यह सबमरीन गुरुवार दोपहर नौसेना को हैंडओवर की। संभावना है कि इस सबमरीन को जल्द ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा। खास बात यह है कि वर्ष 2005 में फ्रांस की डीसीएनएस और एमडीएल के बीच टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए समझौता हुआ था। अब भारतीय सबमरीन ऑपरेशंस के 50वें साल, जिसे गोल्डेन जुबली के तौर पर मनाया जा रहा है, उस दौरान नौसेना को उसकी पहली स्कार्पीन क्लास की सबमरीन कलवरी मिल गई है।
सबमरीन कलवरी में स्टेट ऑफ आर्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है। यह सबमरीन एडवांस्ड साइलेंसिग टेक्निक से लैस है। इसमें ध्वनि को कम रखने के लिए रेडिएटेड टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है। बता दें कि कलवरी का नाम हिंद महासागर में पाई जाने वाली खतरनाक टाइगर शार्क के नाम रखा गया है। नौसेना की परंपरा के मुताबिक शिप और सबमरीन के सेवामुक्त होने पर उन्हें दोबारा अवतरित किया जाता है। कुछ ऐसा ही कलवरी के साथ भी हुआ।