नई दिल्ली । पाकिस्तान पोषित आतंकवाद पर लगाम लगाने और उसकी निगरानी करने के लिए अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 'कमांडो सैटेलाइट' की योजना बनाई है । खबरों के अनुसार अगले कुछ महीनों में इसरो अंतरिक्ष में 8 उपग्रह छोड़ेगा, जिसमें से 5 देश की धरती और पृथ्वी की निगरानी करेंगे । हालांकि कहा ये जा रहा है कि इन सभी उपग्रहों का उपयोग देश की सीमाओं की निगरानी के लिए किया जाएगा । इनमें से कुछ उपग्रहों कार्टोसैट सीरीज और कुछ रीसैट सीरीज के उपग्रह हैं, वहीं कुछ उपग्रह जीसैट सीरीज के होंगे । ऐसी संभावना जताई जा रही है कि फरवरी 2020 तक इन सभी उपग्रहों की लॉन्चिंग हो जाएगी ।
बता दें कि पाकिस्तान पर हुए सर्जिकल और एयर स्ट्राइक पर रीसैट और कार्टोसैट उपग्रहों की मदद ली गई थी । इसरो ने अपनी खास मौकों पर रणनीतिक उपयोग के लिए पिछले 6 महीनों में 3 ऐसे उपग्रहों को लॉन्च किया था, जिसमें नवंबर में हाइसिस, जनवरी में माइक्रोसैट-आर और अप्रैल में एमीसैट छोड़े गए थे। असल में पाकिस्तान और पीओके में पाकिस्तान पोषित आतंकी संगठन भारत विरोधी साजिशों को रचने में लगे हुए हैं। इस सब के बीच इसरो द्वारा आगामी कुछ महीनों में 8 उपग्रह छोड़ने की बात सामने आई है ।
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इनमें से कुछ कार्टोसैट , कुछ रीसैट सीरीज तो कुछ जीसैट सीरीज के होंगे । विदित हो कि रीसैट के जरिए अंतरिक्ष से जमीन पर 3 फीट की ऊंचाई तक की उम्दा तस्वीरें ली जा सकती हैं। वहीं कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना ताकतवर है कि वह अंतरिक्ष से जमीन पर 1 फीट से भी कम की ऊंचाई तक की तस्वीर ले सकेगा। वहीं जीसैट उपग्रहों का उपयोग संचार के लिए किया जाता है। इतना ही नहीं इनका उपयोग सैन्य बलों की सुरक्षित संचार प्रणाली के लिए भी किया जाता है ।
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जानकारी के मुताबिक , ये उपग्रह सभी प्रकार के मौसम में पृथ्वी की तस्वीरें लेने में सक्षम हैं। इसके साथ ही प्राकृतिक आपदाओं में भी इनसे मिली सुचनाओं से मदद मिलेगी । हालांकि इसरो अब से पहले जीसैट सीरीज के 20 उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़ चुकी है, जिनमें से 14 काम कर रहे हैं । इन उपग्रहों का उपयोग टेलीफोन, टीवी संबंधी संचार के लिए होता है. साथ ही ये मौसम और आपदाओं का पूर्वानुमान भी लगाता है। इतना ही नहीं इन उपग्रहों की मदद से वायुसेना और नौसेना अपने विमानों और जहाजों का नेविगेशन करती है । इतना ही नहीं इन उपग्रहों की मदद से सेनाओं के लिए सुरक्षित संचार की सेवा दी जाती है।
इन उपग्रहों की होगी लॉन्चिंग
रीसैट-2बीः मई 2019
कार्टोसैट-3: जून 2019
रीसैट-2बीआर1: जुलाई 2019
जीसैट-1(न्यू): सितंबर 2019
रीसैट-2बीआर2: अक्टूबर 2019
जीसैट-2: नवंबर 2019
रीसैट-1एः नवंबर 2019
जीसैट-32: फरवरी 2020