नई दिल्ली। राफेल विमान का सौदा कर जहां एनडीए सरकार विवादों में घिर गई है वहीं कांग्रेस और विपक्ष को सरकार पर हमला करने का एक बड़ा मुद्दा मिल गया है। लगातार आरोपों को झेल रही मोदी सरकार ने भी कांग्रेस अध्यक्ष के बयान पर पलटवार किया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पूछा कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति का बयान आने से पहले ही उन्हें इसकी जानकारी कैसे मिली? उन्होंने कहा कि इन दोनों की जुगलबंदी के बारे में तो उन्हें नहीं पता लेकिन इससे सवाल तो खड़े होते हैं। बता दें कि राहुल गांधी ने राफेल सौदे को एक बड़ा घोटाला बताया है। अब वित्त मंत्री ने कहा कि नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) राफेल सौदे की कीमत की जांच करेगी। वह देखेगा कि एनडीए सरकार की डील ज्यादा अच्छी है या यूपीए का समझौता।
गौरतलब है कि पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष ने सीधा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर सीधा हमला करते हुए कहा था कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ने नरेन्द्र मोदी को ‘चोर’ कहा है। राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि कर्ज में डूबे अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए पीएम ने डील में उनका नाम जुड़वाया। यहां बता दें कि राफेल विमान कंपनी दसाॅल्ट ने इस बात का खंडन करते हुए कहा था कि रिलायंस के साथ काम करने का फैसला उसका था।
यहां बता दें कि राफेल विमान के सौदे पर घिरी मोदी सरकार ने अब इसकी जांच कैग से कराने का निर्णय लिया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि नियंत्रक और महालेखा परीक्षक विमान की कीमत की जांच करेगा और बताएगा कि एनडीए या यूपीए सरकार दोनों में से किसकी डील ज्यादा अच्छी है। सरकार सभी तथ्यों और आंकड़ों को कैग के सामने पेश करेगी उसके बाद कैग ही फैसला करेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि वे कैग के फैसले का इंतजार करेंगे।
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गौर करने वाली बात है कि वित्त मंत्री ने कहा रिलायंस ने दसॉल्ट एविएशन के साथ एमओयू पर फरवरी 2012 को हस्ताक्षर किए थे। उस समय यूपीए इस सौदे को लेकर बातचीत कर रही थी। राहुल डील को लेकर जो आलोचना कर रहे हैं वह 2012 में हुए एमओयू पर भी समान रूप से लागू होती है। वित्त मंत्री ने राहुल पर निशाना साधते हुए कहा कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के बयान आने से पहले ही उन्हें इसके बारे में पता कैसे चल गया, इस बात को लेकर कई सवाल खड़े होते हैं।