नई दिल्ली। दिवालिया घोषित हो चुके रियल इस्टेट की एक और कंपनी जेपी ग्रुप ने यमुना एक्सप्रेसवे की परियोजना से खुद ही हटने का मन बनाया है। जेपी ग्रुप ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि वह धन जुटाने के लिए करोड़ों रुपये की यमुना एक्सप्रेसवे परियोजना से अलग होना चाहता है। जेपी ग्रुप ने अदालत से अपने 2500 करोड़ रुपये की पेशकश को किसी अन्य कंपनी को देने की अनुमति मांगी है।
परियोजना से हटने की मांग
गौरतलब है कि जेपी एसोसिएट्स को इसकी अनुमति दी जाय या नहीं, इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा,न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड की पीठ 23 अक्तूबर को करेगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने जेपी इंफ्राटेक की मूल कंपनी जेपी एसोसिएट्स से घर खरीददारों को भुगतान करने के लिए 27 अक्तूबर तक न्यायालय की रजिस्ट्री में 2,000 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दिए थे।
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खरीदारों ने दायर की याचिका
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जेपी द्वारा नोएडा में तैयार की गई 40 से ज्यादा खरीदारों द्वारा दासर याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिन्होंने दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी थी। यहां यह भी बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने 11 सितंबर को जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के खिलाफ दिवालियापन की कार्यवाही फिर से शुरू की थी और उसके प्रबंधन की जिम्मेदारी नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल द्वारा नियुक्त अंतरिम रेजोल्यूशन प्रोफेशनल (आईआरपी) को तुरंत प्रभाव से देने का आदेश दिया था।