नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने गुरुवार को अयोध्या विवाद पर सुनवाई करनी थी, लेकिन मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन की पीठ के जस्टिस यूयू ललित को लेकर उठाए गए सवाल के बाद इस मामले की अगली सुनवाई 29 जनवरी तक के लिए टाल दी। खुद पर कभी कल्याण सिंह के अधिवक्ता होने का मुद्दा उठने के बाद जस्टिस यूयू ललित ने खुद को अयोध्या विवाद की सुनवाई करने वाली पांच सदस्यीय पीठ से अलग कर लिया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि खुद को अयोध्या विवाद मामले की सुनवाई से अलग करने वाले जस्टिस ललित आखिर कौन हैं। तो चलिए आपको उनकी पृष्ठभूमि से अवगत करवा देते हैं।
असल में जस्टिस यूयू ललित का परिवार वकालत के प्रोफेशन से जुड़े लोगों का है। जस्टिस यूयू ललित के पिता जस्टिस यू आर ललित दिल्ली हाईकोर्ट के जज थे। इससे पहले वह सुप्रीम कोर्ट के वकील रह चुके थे। अगर बात जस्टिस यूयू ललित की करें तो वह सुप्रीम कोर्ट के ऐसे छठे वकील हैं जो सीधे सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त किए गए। 13 अगस्त 2014 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप मे कार्यभार संभाला था। पूर्व चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा के नेतृत्व वाले जजों के कोलेजियम ने उन्हें नामित किया था।
बता दें कि उनके पिता, जो दिल्ली हाईकोर्ट के जज थे, वह पहले सुप्रीम कोर्ट के वकील थे, जिन्हें बाद में बांबे हाईकोर्ट का एडिशनल जज बनाया गया था। पिता के पेशे को अपनाते हुए जस्टिस यूयू ललित ने भी वकालत के पेशे को ही चुना और 1983 में वकालत की पढ़ाई करने के बाद अपनी प्रैक्टिस शुरू की। उन्हें पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोरबजी के साथ भी काम किया। इसके बाद 2004 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा मिला।
उनके जीवन में एक बड़ा मोड़ उस दौरान आया जब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जीएस सिंधवी और जस्टिस एके गांगुली ने वर्ष 2011 में 2जी स्पेक्ट्रम मामले में उन्हें सीबीआई की तरह से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर नियुक्त किया था।
बहरहाल, यूयू ललित 22 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट के जज पद से सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इस समय अयोध्या विवाद मामले में जो भी जस्टिस पीठ में शामिल हैं, वो सभी आने वाले समय में CJI के पद के दावेदार हैं। न्यायमूर्ति गोगोई के उत्तराधिकारी न्यायमूर्ति बोबडे होंगे. उनके बाद न्यायमूर्ति रमण, न्यायमूर्ति ललित और न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की बारी आएगी।