नई दिल्ली। भारत में लगने वाले कुंभ मेले को यूनेस्को ने अपनी ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची’ में शामिल किया है। यूनेस्को संगठन ने ट्विटर पर यह जानकारी दी है। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र के सांस्कृतिक निकाय की विश्व धरोहर समिति ने दक्षिण कोरिया के जेजू द्वीप पर हुए अपने 12वें सत्र में कुंभ मेला को इस सूची में रखने की मंजूरी दी। यहां गौर करने वाली बात है कि स्पेन की फ्लेमेंको नृत्य से लेकर इंडोनेशिया की बाटिक कला तक 350 से अधिक परंपराएं और कलारूप आदि इस सूची में पहले से शामिल हैं।
पौराणिक मान्यता
गौरतलब है कि यूनेस्को की सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में तुर्की की तेल कुश्ती और मंगोलिया की ऊंटों के लिए मनाई जाने वाली रस्म को भी इसमें जगह दी गई है। बता दें कि 12 सालों में एक बार लगने वाला महाकुंभ मेला हिन्दुओं के लिए एक खास मौका होता है। ऐसी मान्यता है कि देवासुर संग्राम के दौरान अमृतकलश से अमृत की कुछ बूंदें छलक गई थीं और वे बूंदें पृथ्वी पर प्रयाग (इलाहाबाद), नासिक, उज्जैन और हरिद्वार पर गिरी थीं। अमृत गिरने के कारण यहां हर चार साल पर कुंभ मेला लगता है।
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2013 में लगा था पिछला महाकुंभ इलाहाबाद में जो 55 दिन तक चला था
10 करोड़ लोगों ने इस दौरान गंगा नदी के पवित्र जल में डुबकी लगाई थी
12 हजार पुलिस अधिकारी तैनात थे मेले में व्यवस्था बनाए रखने के लिए