नई दिल्ली । तीन तलाक के मुद्दे पर एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार ने अपनी सक्रियता दिखाई है। कानून मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को एक चिट्ठी भेजते हुए तीन तलाक पर तीन साल जेल के प्रावधान पर राज्यों से राय मांगी है। केंद्र ने कहा कि सभी राज्य 10 दिसंबर तक इस मामले पर अपनी राय दे दें। मुस्लिम वुमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरेज बिल' को राज्य सरकारों के पास भेजा गया है। केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए इस ड्राफ्ट का समर्थन सबसे पहले उत्तर प्रदेश ने किया है। बता दें कि कानून बनने के साथ ही तीन तलाक देना गैर-जमानती और गंभीर अपराध माना जाएगा।
ये भी पढ़ें- ईडी ने लालू परिवार को दिया करारा झटका, पटना में मॉल की जमीन समेत 45 करोड़ की संपत्ति की सीज
बता दें कि इस ड्राफ्ट को गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में गठित मंत्रियों के समूह ने तैयार किया है। समूह के अन्य सदस्यों में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, वित्त मंत्री अरुण जेटली, कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद और मंत्रालय में उनके जूनियर पीपी चौधरी शामिल हैं। यह प्रस्तावित कानून केवल एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के मामलों पर ही लागू होगा।
ये भी पढ़ें-पाकिस्तान यात्रा पर मणिशंकर अय्यर मेरी सुपारी देने गए थे - नरेंद्र मोदी
जानकारी के अनुसार, कानून बनने के बाद पीड़ित महिलाओं को अधिकार मिल जाएगा, जिससे वे मैजिस्ट्रेट के पास जाकर अपने और बच्चों के लिए गुजारा भत्ते की मांग कर सकें। इतना ही नहीं, महिला मैजिस्ट्रेट से अपने नाबालिग बच्चों की कस्टडी लेने की भी मांग कर सकती है। कानून के मसौदे के तहत ट्रिपल तलाक किसी भी रूप में- बोलकर, लिखित या ईमेल, SMS और वॉट्सऐप से अवैध और अमान्य होगा।