नई दिल्ली।
राष्ट्रीय विधि आयोग ने सभी धर्मों में शादी का पंजीकरण अनिवार्य करने और पंजीकरण न कराने पर जुर्माना लगाए जाने की सिफारिश की है। आयोग ने इसके लिए केंद्र सरकार से नया कानून बनाने की भी सिफारिश की है। आयोग की सिफारिशों के अनुसार, अगर शादी के 30 दिनों के भीतर रजिस्ट्रेशन नहीं कराया जाता है, तो रजिस्ट्रार 5 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से विलंब शुल्क लेकर रजिस्ट्रेशन करेगा। इसके साथ ही विधि आयोग ने शादी के रजिस्ट्रेशन को आधार से जोड़ने का भी सुझाव दिया है, ताकि सभी जगह समान रूप से रिकार्ड जांचा जा सके।
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आयोग की 270वीं रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी धर्मों के लोगों के लिए शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य किया जाना चाहिए। शादी समारोह के 30 दिनों के भीतर पंजीकरण हो जाना चाहिए। आयोग ने इसके लिए रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ एंड डेथ एक्ट, 1969 में संशोधन कर विवाह पंजीकरण को भी शामिल करने की सिफारिश की है।
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आयोग ने रिपोर्ट में कहा कि विवाह पंजीकरण से विवाह धोखाधड़ी रुकेगी। वैवाहिक रिकॉर्ड न होने के कारण कुछ लोग पत्नी को पत्नी मानने से इनकार कर देते हैं। सामाजिक मान्यता और कानूनी सुरक्षा से महिलाओं को वंचित रखा जाता है। बता दें कि कानून मंत्रालय ने गत 16 फरवरी को रिफरेंस भेज कर आयोग से विवाह पंजीकरण अनिवार्य करने पर विचार करने को कहा था।
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रिपोर्ट की खास बातें
- जन्म और मृत्यु पंजीकरण की तरह विवाह पंजीकरण की जिम्मेदारी भी रजिस्ट्रार की हो।
- अगर बिना किसी उचित कारण के शादी के पंजीकरण में देर की गई तो पांच रुपए प्रति दिन के हिसाब से जुर्माना लगाया जाए।
- जुर्माना एक निश्चित तिथि से ही लगाया जाएगा और उसकी राशि देश की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अधिकतम 100 रुपए होगी।