नई दिल्ली । मोदी सरकार ने समाज में समरसता बढ़ाने समेत अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देने के लिए नई व्यवस्था की है। केंद्र सरकार ने 5 लाख रुपये की सालाना आय की अधिकतम सीमा को खत्म करने के साथ ही अंतर जातीय विवाह करने वाले सभी आय वर्ग के लोगों को 'डॉ. अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटरकास्ट मैरिज' योजना का लाभ देने का फैसला लिया है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय इस योजना के तहत अब अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़े को सरकार 2.5 लाख रुपये देगी। इस बीच यह बात खास होगी कि नवदंपति में से एक का दलित होना जरूरी है। हालांकि इस योजना का लाभ पहले 5 लाख रुपये की सालाना आय के कम वाले लोगों को ही मिलता था, लेकिन अब सरकार ने इस बाध्यता को खत्म कर दिया है।
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केंद्र की मोदी सरकार ने इंटरकास्ट मैरिज को बढ़ावा देने के लिए एक नई रणनीति पर काम करना शुरू किया है। इसके तहत पूर्व में 5 लाख रुपये तक की सालाना आय वाले लोगों को ही किसी दलित से शादी करने पर 2.5 लाख रुपये मिलते थे, लेकिन अब सरकार ने इस बाध्यता को खत्म कर दिया है। अब सभी वर्ग के लोग इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
वर्ष 2013 में शुरू हुई डॉ. अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटरकास्ट मैरिज योजना के तहत सरकार ने प्रतिवर्ष 500 अंतर जातीय विवाह करने वाले जोड़े को योजना के तहत पुरस्कृत करने का लक्ष्य रखा था। हालांकि इस योजना को सामाजिक स्तर पर एक साहसिक फैसला माना गया। इस योजना में खास शर्त यह थी कि अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़े की यह पहली शादी होने चाहिए। योजना का लाभ लेने के लिए जोड़े को अपनी शादी के एक साल के भीतर ही इसका प्रस्ताव सरकार के पास सौंपना होगा।
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सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस योजना के लिए आधार नंबर अनिवार्य है, साथ ही उससे जुड़ा बैंक खाता भी होना चाहिए। बाकि पुरानी सभी शर्तों को खत्म कर दिया है।
बता दें कि पूर्व में इस योजना को ज्यादा सफलता नहीं मिली है। यूं तो सरकार ने पूर्व में प्रतिवर्ष 500 जोड़ों को इस योजना के तहत लाभ दिए जाने का लक्ष्य रखा था लेकिन अगर बात 2014-15 की करें तो इस साल सिर्फ 5 जोड़ों को ही इस योजना के तहत लाभ दिया जा सका। हालांकि उसके बाद से प्रतिवर्ष इसका आंकड़ा बढ़ रहा है लेकिन ये आंकड़े काफी उत्साहजनक नहीं हैं।
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