नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट में मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में शामिल करने के लिए सुनवाई जारी है। इस मामले में दोबारा सुनवाई की तारीख 4 सितंबर तय की गई है। याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील कोलिन गोंजाल्विस ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि शादी का मतलब यह नहीं होता कि पुरूष औरतों को दास बना लें। उनके साथ जबरदस्ती यौन संबंध बनाए। अपना पक्ष रखने के लिए उन्होंने नेपाल समेत कई अन्य देशों के तर्क भी न्यायपीठ के आगे रखें और कहा कि नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने भी वर्ष 2001 में यह साफ कर दिया था कि अगर शादी के बाद कोई व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ बलात्कार करता है तो उसे महिला की स्वतंत्रता का हनन माना जाएगा। याचिकाकर्ता ने इस मामले में कई यूरोपीयन देशों की सुप्रीम कोर्ट के मैरिटल रेप संबंधित आदेश पढ़कर सुनाए।
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याचिकाकर्ता के इन तर्कों के बाद कोर्ट ने टिप्पणी में कहा कि फिलिपींस जैसे देशों में वहां के सुप्रीम कोर्ट ने शादी के बाद महिला के साथ जबरन यौन संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी में रखा है। इस बीच कोर्ट ने मैरिटल रेप के मामले में सभी पक्षों की दलीलें सुनी, जिसमें सरकार व तमाम एनजीओ भी शामिल हैं।
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वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने मैरिटल रेप को अपराध घोषित किए जाने का विरोध किया है। दिल्ली हाई कोर्ट में कई अर्जी दाखिल कर उस प्रावधान को चुनौती दी गई है, जिसमें कहा गया है कि 15 साल से ज्यादा उम्र की पत्नी के साथ रेप को अपराध नहीं माना जाएगा। इस प्रवधान को कई एनजीओ ने गैर-संवैधानिक घोषित किए जाने के लिए याचिका दर्ज की थी।